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हर साल 14 जून को दुनियाभर में मनाया जाता है वर्ल्ड ब्लड डोनर डे, लखनऊ में रक्तदान करने वालों में केवल 2 प्रतिशत महिलाएं

World Blood Donor Day 2024: हर साल 14 जून को दुनियाभर में वर्ल्ड ब्लड डोनर डे मनाया जाता है। इसके पीछे की वजह ये है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक किया जाए।

लखनऊJun 14, 2024 / 05:04 pm

Anand Shukla

World Blood Donor Day 2024 Only 2 percent women blood donors in Lucknow
World Blood Donor Day 2024: आज 14 जून है, इस दिन दुनिया भर में वर्ल्ड ब्लड डोनर डे मनाया जाता है। इसके पीछे का कारण ये है कि रक्तदान के प्रति लोगों को जागरुक किया जाए और ज्यादा से ज्यादा लोग रक्तदान करें। वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश की राजधानी में रक्तदान करने वालों में महिलाओं की हिस्सेदारी महज 2 फीसदी है। इसके पीछे का कारण ये है कि एनीमिया के कारण कई महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होता है। आयरन की कमी और एनीमिया महिलाओं में एक आम स्वास्थ्य समस्या है।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में रक्त और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की प्रमुख प्रोफेसर तुलिका चंद्रा ने कहा, ”उनके विभाग में लगभग 300 यूनिट रक्तदान किया गया है। उनमें से केवल 5-6 यूनिट महिलाओं से आए हैं।”
इसी तरह आरएमएलआईएमएस में रोजाना 70- 80 रक्तदान में से बमुश्किल 1-2 रक्तदान महिलाओं का होता है। आईएमए ब्लड बैंक में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है।

90 प्रतिशत महिलाओं में हीमोग्लोबिन की होती है कमी

प्रोफेसर तुलिका चंद्रा ने कहा कि रक्तदान में महिलाओं की कम भागीदारी के पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं, जिन्हें पहचानने की आवश्यकता है।केजीएमयू में रक्तदान के लिए आने वाली लगभग 90 प्रतिशत महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी होती है। महिलाओं में एनीमिया एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जो 64 प्रतिशत तक पाई जाती है। इसके पीछे एक प्रमुख कारण यह भी है कि महिलाएं ज्यादा चलती- फिरती नहीं हैं। तीसरा कारण है कि उनके मन में रक्तदान को लेकर काफी आशंकाएं बनी रहती हैं।
उन्होंने बताया कि रक्तदान के लिए फिट पाई जाने वाली महिलाओं में खेल गतिविधियों या एनसीसी में शामिल महिलाएं ही शामिल हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि व्यायाम और अच्छे आहार के कारण उनका हीमोग्लोबिन बना रहता है।

रक्तदान में महिलाओं की भागीदारी काफी कम है: डॉ. विजय शर्मा

आरएमएलआईएमएस ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. विजय शर्मा ने कहा, ”इस समस्या से निपटने के लिए पोषण में सुधार और एनीमिया की रोकथाम पर ध्यान दिया जाना चाहिए। भले ही शहर में लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित करने का अभियान चलाए जा रहा है, लेकिन इसमें महिलाओं की भागीदारी काफी कम है।”
अधिकांश ब्लड बैंक ऐसी प्रणाली (एक्सचेंज डोनेशन) पर निर्भर हैं, जहां किसी व्यक्ति को एक यूनिट ब्लड तभी मिलता है, जब वह या उसका कोई परिचित पहले एक यूनिट ब्लड डोनेट करता है।

प्रोफेसर तुलिका चंद्रा ने कहा, ”प्रत्येक वर्ष एकत्रित 78,000 यूनिट में से केवल 30 प्रतिशत रक्त स्वैच्छिक दाताओं से आता है और यह ज्यादातर संगठित रक्तदान शिविरों में होता है।”
केजीएमयू, एसजीपीजीआईएमएस, बलरामपुर, सिविल और लोकबंधु जैसे बड़े सरकारी अस्पताल भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं। बलरामपुर अस्पताल में हर दिन 4,000 मरीज आते हैं, लेकिन वहां स्वैच्छिक रक्तदान करने वालों की संख्या बहुत कम है। वहीं, आईएमए ब्लड बैंक और लोक बंधु अस्पताल में भी स्वैच्छिक रक्तदाताओं की संख्या कम है।

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