साकार विश्व हरि भोले बाबा के प्रति अनुयाइयों की आस्था कहें या अंधविश्वास मंगलवार को सिकंदराराऊ में सत्संग के बाद हुए भयावह हादसे की चीत्कार चहुंओर हो रही थी तो तब भी केदार नगर स्थित बाबा की कुटिया पर माथा टेकने के लिए अनुयाइयों का तांता लगा हुआ था। ये वही कुटिया थी जिसमें बाबा आज से करीब 29 साल पहले गोद ली हुई बेटी के शव को दो दिन तक रखे रहे थे। जिंदा करने के जतन करने की अफवाह पर पहुंची पुलिस से बाबा ने कहा था कि ये मैं नहीं, मेरे अनुयायी कह रहे हैं। हालांकि, बेटी जिंदा नहीं हुई थी।
पुलिस में नौकरी के दौरान भोले बाबा केदार नगर के ईडब्ल्यूएस के मकान में पत्नी के साथ रहते थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि बाबा ने अपने साले की बेटी को गोद लिया था। लगभग 29-30 साल पहले बेटी की विष बेल ( गर्दन पर दिखने वाली गांठ ) के कारण मृत्यु हो गई। दो दिन तक शव को घर में यह कहते हुए रखा रहा कि उसे जिंदा किया जा रहा है। इस पर भीड़ जमा हो गई। पुलिस से भोले बाबा ने कहा था कि बेटी को जिंदा कर दूंगा, मेरा ऐसा कहना नहीं है, ये तो लोग मान रहे हैं। यहीं से भोले बाबा चर्चा में आ गए थे। हालांकि, पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर मल्ल का चबूतरा श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार करा दिया था।
हैंडपंप का पानी भी कहते हैं दवा
ये भी एक अंधविश्वास है। बाबा की कुटिया के बाहर लगे हैंडपंप से अनुयायी पानी पीते हैं। उन्हें विश्वास होता है कि ये पानी निरोग कर देता है। केदारनगर का ये मकान तब बाबा की कुटिया कही जाती थी। उनके अनुयायी आज भी इस आलीशान कुटिया पर माथा टेकने आते हैं। मंगलवार को भी कई अनुयायी आए थे। माह के पहले मंगलवार को तो सुबह तीन बजे से ही अनुयाइयों का आना शुरू हो जाता है। दो मंजिला कुटिया पर दो ताले लगे रहते हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि घर के अंदर न कोई मूर्ति है और न ही ऐसा कुछ है कि पूजा की जाए।
24 साल पहले जेल गया था बाबा
साकार विश्व हरि भोले बाबा बने सूरज पाल सिंह केदार नगर में चमत्कारी शक्ति से लड़की को जिंदा करने के मामले में 24 वर्ष पहले जेल भेजे गया था। उनके साथ एक महिला समेत छह लोग भी साथ में जेल गए। पुलिस ने अपनी ओर से बाबा और छह अन्य के खिलाफ औषधि और चमत्कारिक उपचार विज्ञापन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर बाबा के खिलाफ चार्जशीट लगाई थी। मगर, कोर्ट से चार्जशीट निरस्त होने के बाद दोबारा विवेचक ने इसमें अंतिम रिपोर्ट लगाकर बाबा को क्लीन चिट दे दी। सूरज पाल सिंह वर्ष 2000 में शाहगंज के केदार नगर में एक छोटे से मकान में रहता था। संतान न होने पर अपने रिश्तेदार की बेटी को गोद लिया था। मार्च 2000 में बेटी की मृत्यु होने पर उसको चमत्कारिक उपचार से जिंदा करने का दावा किया गया। कई दिन तक उसे घर में ही रखा गया। इस दौरान आसपास के लोगों ने पुलिस बुला ली। तब शाहगंज थाने के हेड कांस्टेबल सत्यप्रकाश ने सूरज पाल सिंह, कुंवर पाल, मेवाराम, प्रेमवती, कमलेश सिंह, वचन सांवरे और मीना को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। एसआई हरगोविंद साहू ने इस मामले की विवेचना के बाद 24 मार्च 2000 में ही चार्जशीट लगा दी। न्यायालय ने अराजपत्रित अधिकारी द्वारा विवेचना किए जाने पर चार्जशीट निरस्त कर दी और राजपत्रित अधिकारी द्वारा विवेचना करने के आदेश दिए। इसके बाद तत्कालीन सीओ लोहामंडी ने विवेचना की और दो दिसंबर 2000 को मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा दी। दस वर्ष से अधिक पुराना मामला होने के कारण यह रिकॉर्ड पुलिस के पास ऑनलाइन नहीं है। मगर, शाहगंज थाने के रजिस्टर नंबर चार में यह रिकॉर्ड दर्ज है। प्रमोद कुशवाह कि रिपोर्ट