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उज्जैन

4 लाख श्रद्धालुओं ने निहारा बाबा महाकाल का निराला स्वरूप

सावन की दूसरी सव‍ारी में चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर और हाथी पर मनमहेश ने किया नगर भ्रमण, शिव की नगरी..शिव का शोर…हर तरफ उठी आस्था की हिलौर…आ रही है पालकी…बाबा महाकाल की… 20 से अधिक भक्त मंडल, 10 से अधिक झांकियां, 15 से अधिक झांझ-डमरू वादक दल, 3 घंटे तक निकली सवारी, लगभग 6 किमी का मार्ग, 250 से अधिक पुलिस जवान, 150 से अधिक प्रशासनिक अधिकारी।

उज्जैनJul 26, 2022 / 01:31 am

Nitin chawada

4 लाख श्रद्धालुओं ने निहारा बाबा महाकाल का निराला स्वरूप

4 लाख श्रद्धालुओं ने निहारा बाबा महाकाल का निराला स्वरूप

उज्जैन. सावन-भादौ मास में निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारियों के क्रम में सोमवार को दूसरी सवारी निकाली गई। चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर और हाथी पर मनमहेश स्वरूप में बाबा महाकाल ने नगर भ्रमण किया। श्रद्धालुओं ने बाबा के विभिन्न स्वरूपों को निहारा। महाकाल मंदिर और सवारी में लगभग 4 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का सैलाब रहा। शाम 4 बजे सवारी मंदिर से बाहर आई। 5.15 बजे रामघाट पर पूजन-आरती हुई, इसके बाद सवारी आगे के लिए रवाना हुई। सवारी में 20 से अधिक भक्त मंडल, 10 से अधिक झांकियां, 15 से अधिक झांझ-डमरू वादक दल के साथ बाबा महाकाल का काफिला निकला। रास्तेभर पुष्पवर्षा के साथ पूजन-आरती हुई। 4 घंटे तक निकली सवारी यात्रा का मार्ग लगभग 6 किमी का था। सवारी और बाबा महाकाल के दर्शनों के लिए दिनभर शहर में हर जगह भीड़ नजर आई। रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर भी भीड़ का दबाव रहा।
दो साल के बाद बाबा महाकाल और भक्तों के बीच की दूरी मिटी। रात ढाईबजे से ही महाकाल मंदिर के आसपास चहल-कदमी शुरू हो गई थी। भस्म आरती के बाद से ही लगातार दर्शनों का सिलसिला शुरू हुआ, जो रात 11 बजे थमा। इस बीच शिव की नगरी में भगवान शिव का ही शोर गूंज रहा था। हर तरफ आस्था की हिलौरें उठ रही थीं। सावन की दूसरी सवारी में जनसौलाब नजर आया। बाबा महाकाल ने दो स्वरूपों में भक्तों को दर्शन दिए। पालकी में चंद्रमौलेश्वर और हाथी पर मनमहेश के रूप में प्रजा का हाल जानने पूरे लाव-लश्कर के साथ निकले। भक्त भी झांझ-डमरू, भजन-कीर्तन करते, नाचते-गाते हुए अपने आराध्य की पालकी के साथ सैलाब के रूप में चले। बैरिकेड्स के पीछे खड़े श्रद्धालुओं ने हाथ उठाकर जोरदार जयकारा लगाया। फूलों से लदी पालकी कभी इधर डोलती, तो कभी उधर। आस्था का ऐसा जलजला था कि लोग बैरिकेड्स पर चढ़ गए। महिलाएं-बच्चियां भीड़ में दबते-कुचलते रहे, लेकिन सबकी रक्षा करने वाले भगवान भोलेनाथ ने किसी तरह की कोई अनहोनी नहीं होने दी।
सडक़-ओटले, गैलरी सब फुल

सडक़, ओटले, गैलरी, मकान-दुकान, जिसे जहां जगह मिली, वह वहीं जम गया। सवारी निकलने के करीब दो-तीन घंटे पहले से लोग मार्ग के दोनों किनारों पर आकर बैठ गए थे। परिवार सहित आकर लोगों ने बाबा महाकाल के दर्शनों का लाभ लिया। सावन मास के दूसरे सोमवार बाबा महाकाल की आराधना और उनकी एक झलक की दीवानगी में तब्दील हो गया। लोग दफ्तर तो गए, लेकिन वहां भी बाबा की पालकी में चलेंगे…शाम को कौन कहां मिलेंगे, यह सब तय होता रहा। कई लोगों ने अपने नित्य कार्य भी जल्दी निबटा लिए, और शाम होने का बेताबी से इंतजार करने लगे थे।
दूसरी सवारी में भी शाही जैसा नजारा

भगवान श्री महाकालेश्वर की सावन भादौ मास में निकलने वाली पहली और दूसरी सवारी में शाही सवारी जैसा नजारा दिखा। दो साल के बाद उन गलियों में चहल-कदमी रही, जहां सन्नाटे पसरे थे। यहां रहने वाले भी आज इस सवारी का ऐसे इंतजार कर रहे थे, जैसे बरसों से बिछड़ा हुआ कोई अपना आज वापस घर लौट रहा हो। जैसे ही पालकी उनके घरों के सम्मुख पहुंची, आरती-पूजा की थाली और पुष्प वर्षा करके अपने आराध्य देव को निहारा, दर्शनों का लाभ लिया।
रामघाट पर जलाभिषेक

भगवान श्री महाकालेश्वर की पालकी भीड़ को चीरती हुई रामघाट पहुंची। रामानुजकोट पर ही बैरिकेड्स लगाकर लोगों की भीड़ को रोका जा रहा था। इधर, हरसिद्धि घाटी तरफ से रामघाट को जोडऩे वाले सभी रास्तों पर बैरिकेड्स लगा दिए थे। नृसिंह घाट, दत्त अखाड़ा और गुरुनानक घाट तक लोगों की भीड़ ही भीड़ नजर आ रही थी। पालकी रामघाट पहुंची, जहां क्षिप्रा के जल से अभिषेक हुआ। आरती के बाद यहां से पालकी आगे के लिए रवाना हुई।
इन्होंने किया पूजन

सभा मंडप में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, महापौर मुकेश टटवाल, कलेक्टर आशीष सिंह, एसपी सत्येन्द्र कुमार शुक्ल ने पूजन-अर्चन किया। पूजन पं. घनश्याम पुजारी ने संपन्न कराया। श्रावण मास की दूसरी सवारी में हाथी पर विराजित होकर मनमहेश निकले तथा पालकी में चंद्रमौलेश्वर सवार थे।
कब-कब निकलेंगी सवारियां

श्रावण एवं भादौ मास में निकलने वाली भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी के क्रम में तीसरी सवारी 1 अगस्त को, चौथी 8 अगस्त को, पांचवीं 15 अगस्त को और शाही 22 अगस्त को निकाली जाएगी। नागपंचमी पर्व 2 अगस्त को मनाया जाएगा।
4 लाख श्रद्धालुओं ने निहारा बाबा महाकाल का निराला स्वरूप
झलकियां…

– भीड़ होने के बावजूद लोग सवारी में उल्टी दिशा की तरफ मंडलियां चल रही थीं, जिससे अव्यवस्था हुई।

– जिस जगह महिलाएं, युवतियां खड़ी थीं, वहां युवक धड़ल्ले से धक्का देकर घुस रहे थे।
– सवारी मार्ग के आसपास गलियों में नशा करने वालों की मौज चल रही थी।

– गुदरी चौराहे पर लोग बैरिकेड्स पर ही चढ़ गए, इसके पीछे खड़ी महिलाओं पर यह गिरते-गिरते बचा। लोगों ने संभाला।
– सवारी मार्ग में कई दुकानों के बाहर चाय उबाली जा रही थी, जबकि प्रशासन के निर्देश हैं कि कढ़ाव, भट्टी आदि न जलाई जाए।

– जिनके घर सवारी मार्ग पर थे, उनको अचानक बाहर आने-जाने में परेशानी हुई।
– रामानुजकोट से रामघाट जाने के लिए विधायक महेश परमार का विवाद हुआ, जिसे पुलिस वालों ने बीच-बचाव कर परमार को रोका।

– प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा ने बाबा महाकाल के दर्शन किए।
– कार्तिकेय मंडपम से दर्शन कराके निर्गम से बाहर निकाला।

– प्रोटोकॉल वाली 100 और वीआईपी दर्शन 250 रुपए की टिकट व्यवस्था बंद रही।

– हरसिद्धि धर्मशाला के गेट पर ताले लगा दिए गए, चारधाम और हरसिद्धि चौराहा होने के कारण भीड़ का दबाव सबसे अधिक यहीं पर था।
– बड़े गणेश और अन्य मंदिरों के अलावा गलियों में बैरिकेड्स लगा दिए, जिससे इन मंदिरों के पुजारी, रहवासी और अन्य लोगों को परेशानी हुई।

– 2 बजे तक 2 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, शाम तक यह संख्या 4 लाख हो गई।
4 लाख श्रद्धालुओं ने निहारा बाबा महाकाल का निराला स्वरूप
महाकाल मंदिर: जूते-चप्पल के कारण सबसे ज्यादा अव्यवस्था

महाकाल मंदिर दर्शन करने आने वाले आम दर्शनार्थियों को जूते-चप्पल के कारण काफी परेशान होना पड़ा। चारधाम के सामने से लाइन में लगे, वहीं जूते-चप्पल उतारे, अब दर्शन के बाद बाहर निकले तो फिर जूते-चप्पल लेने वहीं जाना मजबूरी बन जाता है। यही स्थिति पार्किंग के लिए भी होती है। भारत माता की तरफ से आने वालों को यह पता ही नहीं, कि फैसेलिटी सेंटर वाले बैरिकेड्स ऐसे बंधे हैं, कि पैदल भी नहीं जा सकते। यहां तक वाहन लाना भी दुश्वार है, क्योंकि घाटी के नीचे खड़े पुलिस वाले ऊपर आने नहीं देते। कॉरिडोर तरफ से सिर्फ पुलिस-प्रशासन की गाडिय़ां और उनका परिवार ही आता है। आम श्रद्धालुओं को बैरिकेड्स में लगातार चलना पड़ता है, कार्तिकेय से दर्शन करके बाहर निकाला जाता है।
महाकाल मंदिर में कावडिय़ों ने बिगाड़ी व्यवस्था

प्रशासन ने पूर्व में जो बैठकें बुलाई थीं, उनमें तय कर दिया था कि शनि, रवि और सोमवार को कावड़ यात्रियों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। बावजूद नामचीन कावड़ यात्रा रविवार रात को ही मंदिर पहुंच गई। सोमवार सुबह भस्म आरती में जल चढ़ाने को लेकर काफी विवाद हुआ। कावडिय़ों की संख्या अधिक थी, जिससे मंदिर में अव्यवस्था हुई। पुलिस और प्रशासन बैठकों में जो निर्णय लेता है, धरातल पर खुद ही उसका पालन नहीं कर पाता, जिसका खामियाजा सामान्य दर्शनार्थियों को भुगतना पड़ता है।

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