दरअसल इस समय ब्लैक फंगस बीमारी भी पैर पसार रही है, जिसकी खबरें सुनकर लोग परेशान हैं। उज्जैन जिले में कोरोना महामारी के धीमे पड़ने के साथ ब्लैक फंगस के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस बीमारी से होने वाले शारीरिक नुकसान की खबरें सुनकर माता ऑनलाइन पढ़ाई ना करवाएं तो शैक्षणिक भविष्य खतरे में और करवाएं तो शारीरिक भविष्य पर सवाल की स्थिति बनी हुई है।
बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित
माता-पिता बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। यह दूसरा साल है जब स्कूल बंद है तो पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है। बच्चे मोबाइल, लैपटॉप सब कुछ चला रहे हैं। कभी वह मोबाइल पर तो कभी लैपटाप पर पढ़ाई करते हैं। वह लगातार इन्ही के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा टीवी भी देख रहे हैं। अब आए दिन उसकी आंखों में दर्द होने लगता है। इसीतरह चलता रहा तो इतनी छोटी उम्र में चश्मा ना लगवाना पड़ सकता है।
ब्रेक हो जाती है क्लियर सीम
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलेश चंदेल का कहना है कि लगातार इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस के इस्तेमाल से आंखें खराब होना स्वाभाविक है। आंखों पर जरूरत से ज्यादा बोझ डालने पर क्लियर सीम और ना ही कोविड संक्रमित रहा हो। आंखों में पतली सी लेयर या ब्रेक हो तो घबराने की आवश्यकता नहीं। जाती है, जिससे नजर कमजोर पड़ती हैं।
ऐसे हो सकता है ब्लैक फंगस
सिविल सर्जन डॉ प्रयाग वर्मा का कहना है कि ब्लैक फंगस हर किसी को नहीं बल्कि उन कोरोना मरीजों को हो सकता है जिन्हें शुगर की बीमारी हो और उसकी दवाईयों से शुगर बढ़ जाने पर ब्लैक फंगस होने की संभावना है। यदि शुगर नहीं हो और ना ही कोविड संक्रमित रहा हो तो घबराने की आवश्यकता नहीं है।
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