आर्या के पिता सौरव ने बताया कि उन्होंने पिछले एवरेस्ट बेस कैंप में ट्रेक के दौरान कई बच्चों को देखा। जिनमें कोई भी भारतीय नहीं था। इसने मुझे अपनी बेटी को दुनिया में सबसे छोटी उम्र में ईबीसी तक ले जाने के लिए प्रेरित किया। ट्रेक के दौरान प्रमुख गांवों से पहले चिकित्सा जांच केंद्र थे। जहां आर्या के स्वास्थ्य की नियमित जांच की गई। आराम के लिए कई बार ब्रेक लिया और ऊंचाई के साथ अनुकूलन के लिए रोज़ाना फुटबॉल खेला।
5 महीने की मेहनत लाई रंग
मां नेहा सिखवाल ने बताया कि हमने पिछले पांच महीनों से इस ट्रेक के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयारी की थी। आर्या की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता थी और हमने इसे संभव बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए। आर्या के दादा राधेश्याम सिखवाल विफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। विफा परिवार आर्या की इस उपलब्धि पर गौरवान्वित है।
नहीं पड़ी आपातकालीन हेल्प की जरूरत
आर्या की सुरक्षा के लिए नेपाल के अधिकारियों से विशेष अनुमति ली गई थी। तीन अंतरराष्ट्रीय योग्य शेरपा, एक डॉक्टर, ऑक्सीजन सपोर्ट और आपातकालीन स्थिति में हर घंटे हेलीकॉप्टर बचाव के साथ ट्रेक को पूरा किया गया। हालांकि, आर्या को इनमें से किसी भी आपातकालीन सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ी। उसका ऑक्सीजन स्तर पूरे ट्रेक के दौरान समूह के वयस्कों से अधिक रहा।