वक्त का ऐसा कहर.. रईसी अंदाज में कभी गाडिय़ों में घूमने वाली भीख मांगते हुए चल बसी
वक्त का ऐसा कहर.. रईसी अंदाज में कभी गाडिय़ों में घूमने वाली भीख मांगते हुए चल बसी
मोहम्मद इलियास/उदयपुर.
पति की मौत के बाद उदयपुर में आसरा देने वाले युवक के हाथों बर्बाद हुई महिला ने सडक़ पर भीख मांगते हुए दम तोड़ दिया। कभी महंगी गाडिय़ां में घूमते हुए रईस जिंदगी जीने वाली इस महिला को गुरुवार को यहां निराश्रित गृह में पल रही उसकी नौ वर्षीय बेटी ने मुखाग्नि दी। वह श्मशान में शव को देखते ही फफक पड़ी। पालनपुर गुजरात से मृतका की बहन व भाणेज भी यहां पहुंचे। उन्होंने महिला की दु:ख भरी कहानी सुनाई तो सभी की आंखें छलक गई।
मंडार आबूरोड (सिरोही) निवासी गुलाब कंवर उर्फ आसमा खां तीन दिन पूर्व सुखाडिय़ा सर्कल पर घायलावस्था में मिली थी। अस्पताल लाने पर उसने दम तोड़ दिया। गुरुवार को पुलिस ने आवश्यक कार्रवाई के बाद शव को अन्तिम संस्कार के लिए महाराणा प्रताप सेना के सुपुर्द किया। सेना के मोहनसिंह, मानव सेवा समिति के अजीत बम्ब, प्रेमशंकर, ललित घारू शव को अशोक नगर श्मशानघाट ले गए। हेड कांस्टेबल महेन्द्रसिंह राणावत व विजयलक्ष्मी मृतका की नौ वर्षीय बेटी को लेकर वहां पहुंचे। सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष डॉ.प्रीति जैन व सदस्य बीके गुप्ता ने बेटी को मां के अंतिम दर्शन करवा मुखाग्नि दिलवाई।
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दुख भरी कहानी सुन छलक पड़े आंसू
मृतका की बड़ी बहन गीता बेन व सूरत से भाणेज कृष्णपाल सिंह उदयपुर पहुंचे। गीता बेन ने सीडब्ल्यूसी ने बताया कि मंडार निवासी गुलाब कंवर की शादी 25 वर्ष पूर्व आबूरोड में एक सम्पन्न परिवार में हुई थी। उसके पास करोड़ों की सम्पत्ति थी। विवाह के बाद उसके दो पुत्रियां हुई। बड़ी बेटी 21 एवं छोटी 9 वर्ष की है। 7 वर्ष पूर्व पति की मौत के बाद वह बड़ी बेटी को पढ़ाने के लिए जयपुर ले गई थी। यह परिवार उदयपुर घूमने आया था, जहां पर शाकिर नाम के एक लडक़े साथ जान-पहचान हो गई। उसने सम्पत्ति हड़पने के लिए गुलाब कंवर से निकाह कर लिया और बाद में उसे नशे का आदी बना दिया। इस बीच उसने बड़ी पुत्री का उदयपुर में ही किसी मुस्लिम युवक से निकाह करवा दिया। कुछ समय के बाद जब गुलाब कंवर बीमार हुई तो शाकिर ने उसकी सारी सम्पत्ति हड़पते हुए उसे पुत्री सहित घर से निकाल लिया। नशे की आदी हो चुकी गुलाब कंवर अस्पताल परिसर में भीख मांगकर खाने लगी। बाद में पता चलने पर सीडब्ल्यूसी ने बच्ची को मीरा निराश्रित गृह में रखवाते हुए उसका स्कूल में दाखिला करवाया तथा मां को अस्पताल में भर्ती करवाया लेकिन वह सडक़ों पर घूमकर भीख मांगते हुए अपना गुजर-बसर करने लगी।
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बालिका के सर्वोत्तम हित में एवं उसके भविष्य को देखते हुए कानूनी रूप से जो हक होगा उसके लिए बाल कल्याण समिति जिला कलक्टर एवं अध्यक्ष बाल संरक्षण इकाई को अनुशंसा करेगी।
डॉ.प्रीति जैन,अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष
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