ये है प्रक्रिया
जैसे की कोई शव या देहदान करने के लिए परिजन कॉलेज पहुंचते हैं, तो उनका स्वागत किया जाता है। बाद में शव को वहां रखकर सांकेतिक अंतिम संस्कार की रस्म पूरी करवाई जाती है। शव पर फार्मेलीन व स्प्रीट का लेप लगाया जाता है। साथ ही फिनोल व ग्लिसरीन को नसों में प्रवाहित किया जाता है। फिर इसे 15 दिन बाहर रखा जाता है ताकि इसमें से पानी सूख सके। फिर इसे फार्मेलीन टैंक में रखा जाता है और अध्ययन की जरूरत के लिए निकाला जाता है। कई बार पतले शरीर के मृतक की बॉडी को ममीफाइड बनाया जाता है, ताकि उस सूखे शरीर से पढ़ाई की जा सके। आरएनटी में जो ममीफाइड बॉडी है वह करीब 50 साल पुरानी हैं। केवल कंकाल की पढ़ाई के लिए शव को बरियल ग्राउण्ड में गाडकर कुछ सालों बाद निकाला जाता है, ताकि शव कंकाल में बदल जाए। कॉलेज में मानव शरीर के विभिन्न अंगों का म्यूजियम भी है, इसमें विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है।
– जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अजमेर – 17
– जयपुर निम्स – 06
– झालावाड़ मेडिकल कॉलेज – 27
– उदयपुर गीताजंलि – 16
– उदयपुर एमएमएमएसी- 04
– उदयपुर पेसिफिक- 15
– जेआरएन विद्यापीठ- 02
– जयपुर एसकेएचएमसी एण्ड आरसी- 01
– जयपुर जेवीडब्ल्यूयू-एफएचएस- 02
– उदयपुर पीडीसी- 03
– केएएएमयू एण्ड एच, गोगुन्दा – 02
– एम्स एण्ड आरसी राजसमन्द – 06
– आरयूएचएससीएमएस जयपुर – 07
– उदयपुर आरआरडीसी – 02