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उदयपुर

मुफ्त क्या बंटने लगा, आ गए फर्जी गरीब

उदयपुर सम्भाग में कोरोना महामारी के बीच सरकार की आंख में धूल झोंकने की कोशिश, घर-गाड़ी वाले भी टोल फ्री नम्बर पर फोन कर मांग रहे हैं मदद, अब होगी कानूनी कार्यवाही

उदयपुरMar 30, 2020 / 07:43 am

jitendra paliwal

मुफ्त क्या बंटने लगा, आ गए फर्जी गरीब

मुफ्त क्या बंटने लगा, आ गए फर्जी गरीब

केस-1
राजसमंद जिले के कुम्भलगढ़ उमरावास पंचायत की तेजों का गुढ़ा में एक युवक ने राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर सूचना डाली की लाॅकडाउन के चलते वह बाहर नहीं जा सकता और उसका परिवार भूखा है। प्रशासन ने तत्काल उसके घर टीम भेजी तो वह नहीं मिला। मां घर पर थी। जांच में सामने आया कि वह जरूरतमंद नहीं है। हाल ही में वह पंचायत चुनाव लड़कर हारा, जिसमें लाखांे रूपए खर्च भी किए।
केस-2
बांसवाड़ा जिले की घाटोल पंचायत समिति की देलवाड़ा रावणा पंचायत में एक व्यक्ति ने टोल फ्री नम्बर पर सूचना दी कि वह दो दिन से भूखा है, खाने को पैसे तक नहीं हैं। प्रशासन की टीम पहुंची तो पता चला कि वह ठेकेदार है तथा सम्पन्न व्यक्ति है। उसके दो मकान, जमीनें, कार, बाइक, राशन की दुकान एवं तमाम सुविधाएं हैं। विकास अधिकारी को उसके विरूद्ध सख्त कार्यवाही के लिए रिपोर्ट दी गई है।

उदयपुर. कोरोना महामारी के बीच एक तरफ जहां प्रशासन और पुलिस ने गरीबों व जरूरतमंदों की मदद का सिलसिला शुरू किया ही है कि फर्जी गरीब और जरूरतमंद दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए हैं। उदयपुर सम्भाग में अब ऐसी शिकायतें आने लगी हैं कि जरूरतमंद नहीं होने के बावजूद वे सरकारी सुविधा का फायदा उठाना चाहते हैं।
लाॅकडाउन के बीच गरीब-श्रमिक वर्ग की छिनी रोजी-रोटी की चिंता करते हुए केन्द्र और राज्य सरकार ने बड़े ऐलान किए थे, जिसकी क्रियान्विति के तहत जिला स्तर पर बनाई कार्ययोजना के तहत अब गरीबों के घर तक राशन के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं। इस बीच कुछ लोग प्रशासन की आंखांे मंे धूल झोंककर फर्जी तरीके से राशन का फायदा उठाना चाहते हैं। हालांकि ऐसे फर्जीवाड़ा पकड़ में भी आ रहा है, लेकिन आपातकालीन स्थिति में प्रशासनिक दलों को जरूरतमंदों तक राशन पहुंचाने में मुश्किल आ सकती है। कुछ लोग बेमतलब उनकी दौड़ लगवा रहे हैं, जिन्हें निर्धन परिवारांे तक जल्दी से जल्दी राशन के किट पहुंचाने हैं।
– खाद्य सुरक्षा सूची में भी हजारों फर्जी नाम
यह तथ्य किसी से छुपा नहीं है कि खाद्य सुरक्षा सूची में भी पूरे सम्भाग में ऐसे हजारों नाम फर्जी ढंग से जोड़ दिए गए हैं, जो अकूत दौलत के मालिक हैं, जिनके पास गाड़ी, बंगला और हर साधन-सुविधाएं हैं। स्थानीय स्तर पर तो ग्रामीण और पंचायत के जिम्मेदार लोग भी इस बात से वाकिफ हैं, लेकिन ऐसे सैकड़ों लोग अब तक खाद्य सुरक्षा सूची में शामिल होने से सस्ते अनाज व सुविधाओं का बेरोक-टोक फायदा उठाते आ रहे हैं। आमदिनों की तुलना में संकटपूर्ण स्थिति में उनका सरकारी तंत्र पर बोझ गरीबों को लाभ मुहैया कराने में मुश्किल पैदा कर सकता है।
– सरकार ने की थी यह घोषणा
गहलोत सरकार ने देश में सबसे पहले लाॅकडाउन घोषित किया था। इसके साथ ही खाद्य सुरक्षा के लाभार्थियों को दो माह का राशन, पंजीकृत श्रमिकों और स्ट्रीट वेंडरांे को को निशुल्क देने की बात कही थीं। अब सरकार ने जिला प्रशासन के माध्यम से गरीबों के घरों तक ये पैकेट पहुंचाना शुरू कर दिया है।
—फैक्ट फाइल—
5 लाख 89 हजार 913 परिवार हैं उदयपुर जिले में खाद्य सुरक्षा के लाभार्थी
58 हजार 270 परिवारों के 2.47 लाख लोग हैं अंत्योदय योजना में
8366 परिवार अकेले उदयपुर शहर मंे जो हर माह राशन नहीं उठाते हैं
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