ये हैं समस्याएं
– लेबर रूम जिस कॉटेज वार्ड में शिफ्ट किया गया है, उसमें ऑक्सीजन प्लान्ट से कनेक्शन जोड़ा नहीं गया है। फिलहाल सिलेण्डर लगाकर काम चलाया जा रहा है। साथ ही बच्चों के पैदा होने पर जिस लाइन से कफ खींचने का काम किया जाता है, वह सक्शन लाइन नहीं है।
– कॉटेज से नर्सरी में पहुंचने करीब 10 मिनट लगते हैं। बाहरी मार्ग का खुला है, जबकि अन्दर एक रास्ता है, लेकिन अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। वार्ड 14 और 9 जनाना हॉस्पिटल के एमसीएच विंग में चल रहा है। कॉटेज से रैंप चढ़ते हुए एमसीएच विंग से होते हुए नीचे उतरकर नर्सरी में जाना पडेग़ा या बाहर से ब्लड बैंक से होते हुए पन्नाधाय एवं कैंटीन के सामने से जाना पडेग़ा। बारिश के दौरान ज्यादा समस्या आएगी।
– शिफ्टिंग के बाद बुधवार को 35 प्रसव हुए, लेकिन परिजनों के ठहरने या खड़े रहने की व्यवस्था तक नहीं है। जगह की कमी परिजनों को खूब परेशान कर रही है।
– प्रसूताओं को कॉटेज पांच में शिफ्ट किया गया है, लेकिन निचले हिस्से में स्थित लेबर रूम की प्रसूताओं को छह-ए में शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि पहले दिन सभी को ऊपरी वार्ड पांच में ही रखा गया।
ऐसे में वहां भीड़ हो गई है।
– अभी वार्ड छह-ए में करीब 20 सीजेरियन प्रसूताओं को रखा गया है, लेकिन यदि दो दिन से अधिक प्रसूताओं को वहां रखा जाएगा, तो बिस्तर की कमी हो जाएगी। क्योंकि प्रसूताओं की संख्या 60 पार हो जाएगी।
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सब अस्त-व्यस्त एन्टीनेट आउटडोर में आउटडोर, सोनोग्राफी, भामाशाह योजना की व्यवस्था एक साथ होने से स्थिति अस्त-व्यस्त रही। भीड़ भाड़ के कारण परेशानी बढ़ गई।