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उदयपुर

जिओ हेरिटेज टूरिज्म साइट जावर और फॉसिल पार्क के रूप में विकसित होगा झामरकोटड़ा

खनिज व जीवाश्म संपदा से समृद्ध जावर व झामर कोटड़ा को पर्यटन से जोड़ने के लिए पर्यटन विभाग को जिला प्रशासन ने किया भूमि का आवंटन, 99 साल की लीज पर निशुल्क भूमि पर होगा पर्यटन की दृष्टि से होगा विकास कार्य, उदयपुर के पर्यटन में जुड़ेगा नया अध्याय

उदयपुरJan 06, 2025 / 11:39 pm

Shubham Kadelkar

जावर स्थित जिओ हेरिटेज साइट पर दौरा करने पहुंचे अ​धिकारी (FILE)

उदयपुर. खनन के लिए विख्यात जावर क्षेत्र और जीवाश्म संपदा से समृद्ध झामर कोटड़ा अब जिओ हेरिटेज टूरिज्म साइट के रूप में विकसित हो पाएंगे। इसको लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मंशानुरूप जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग को लेसर नॉन टूरिज्म साइट्स के रूप में इन स्थलों को विकसित करने भूमि का आवंटन किया है। भूमि आवंटन निशुल्क होकर 99 साल की लीज पर किया है। इसकी कार्यकारी एजेंसी आरटीडीसी होगी और डीपीआर पीडीसीओआर से बनवाई जाएगी। इससे उदयपुर के पर्यटन में एक नया अध्याय जुड़ेगा। वहीं, पर्यटन विकसित होने से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। गौरतलब है कि बजट की घोषणाओं के अनुसार इन स्थलों को विकसित किया जाएगा।

पिछले साल दौरा कर अधिकारियों ने जताई थी संभावनाएं

गत साल 13 जुलाई को पर्यटन विभाग, भू-विज्ञान एवं खान विभाग के अधिकारियों ने झामर कोटड़ा का दौरा कर फॉसिल पार्क विकसित करने की संभावनाएं जताई थीं। झामर कोटड़ा में 180 करोड़ वर्ष पुरानी चट्टानें पाई गई। फॉसिल पार्क का महत्व प्राकृतिक इतिहास और विज्ञान के अध्ययन में महत्वपूर्ण है। प्रस्तावित फॉसिल पार्क प्राचीन जीवाश्मों के संरक्षण और अध्ययन के लिए समर्पित होगा, जो पृथ्वी की प्राचीन जीवन संरचना और पारिस्थितिक तंत्र की जानकारी देगा। वहीं, 18 जुलाई को पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने जावर क्षेत्र का दौरा कर स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं निवासियों से चर्चा कर क्षेत्र में पर्यटन के विकास के संदर्भ में सुझाव लिए एवं तकनीकी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए सर्वे रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को प्रेषित की थी।

यह है जिओ हेरिटेज पर्यटन

जिओ हेरिटेज पर्यटन, या भौगोलिक धरोहर पर्यटन, एक विशेष प्रकार का पर्यटन है जो किसी क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताओं, जैसे पर्वत, नदियां और भूगर्भीय खनिज संपदाओं पर आधारित होता है। इसमें स्थानीय भौगोलिक संरचनाओं, उनके निर्माण की प्रक्रियाओं और ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया जाता है। इसका उद्देश्य पर्यटकों को प्राकृतिक और भूगर्भीय धरोहर की समझ प्रदान करना और उसे संरक्षित करने के महत्व को बढ़ाना है। इस प्रकार का पर्यटन न केवल शिक्षा और जागरूकता बढ़ाता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है। उदयपुर जिले का जावर भी एक प्राचीन भू-धरोहर स्थल जिओ हेरिटेज साइट है, यहां जिओ टूरिज्म विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं।

इस तरह से विकसित होंगे

– जावर में चिन्हित स्थानों पर बाउंड्री वॉल, प्रवेश द्वार, पार्किंग, जन सुविधाएं, सूचनात्मक डिस्प्ले बोर्ड, साइनेज, बैठक व्यवस्था, सोलर लाइट आदि कार्य करवाए जाने प्रस्तावित है।

– इस क्षेत्र के आसपास तीन किलोमीटर की परिधि में जावर माता मंदिर, प्राचीन जैन मंदिर, बावड़ी आदि अन्य पर्यटकीय महत्त्व के स्थल स्थित हैं, इस कारण इस क्षेत्र को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की प्रबल संभावनाएं हैं।
– जावर माता मंदिर एवं आसपास क्षेत्र में यात्री सुविधाओं के विस्तार का कार्य करवाया जाना प्रस्तावित है। इसमें जावर माता मंदिर के बाहर पार्किंग निर्माण, बैठक व्यवस्था, सोलर लाइट, मंदिर के पास से स्कूल की तरफ रिटेनिंग वॉल एवं रिंग रोड का निर्माण, गार्डन का काम, मंदिर के पास स्थित बावड़ी का जीर्णोद्धार, साइनेज आदि कार्य प्रस्तावित हैं।
– झामर कोटड़ा में भी पर्यटकों को रिझाने के लिए फॉसिल पार्क विकसित किया जाएगा। जिसमें बाउंड्री वॉल, प्रवेश द्वार, पार्किंग, जन सुविधाएं, जीवाश्म डिस्प्ले एरिया आदि कार्य करवाए जा सकेंगे।

इनका कहना…

नए और यूनिक प्रोडक्ट की शृंखला में जावर में जिओ टूरिस्ट साइट और झामर कोटड़ा में जीवाश्म पार्क के विकास के साथ ही इनके टूरिज्म पोटेंशियल को मार्केट किया जाएगा। इससे उदयपुर आने वाले पर्यटक घूमने के नए ऑप्शन के साथ ही नॉलेज पॉइंट भी एक्सप्लोर कर सकेंगे। पर्यटकों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही उनका ठहराव भी बढ़ेगा और उदयपुर के बाहरी क्षेत्रों में पर्यटन बढ़ने से शहर में टूरिज्म का संतुलित विकास होगा।
शिखा सक्सेना, उपनिदेशक, क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय उदयपुर

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