भैषाणा पंचायत के ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत के सभी राजस्व गांवों में पिछले कई वर्षों से दाह संस्कार बिल्कुल खुले आसमान के नीचे होता है। यहां न तो छत है और ना ही मुर्दे के लिए चारपाई। एक ओर जहां बारिश के समय ग्रामीणों को परेशानी होती है। वहीं, दूसरी ओर श्मशान घाट तक पहुंचने के लिए ग्रेवल सड़क तक नहीं है। तेज बारिश के कारण जब नदी का पानी अपना विकराल रूप धारण कर लेता है, तब तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है। इस कारण ग्रामीणों को कई बार बारिश और नदी में पानी के वेग के थमने का इंतजार करना पड़ता है।
कई बार किया ध्यानाकर्षण, जिम्मेदार फिर भी मौन
ग्रामीणों ने बताया कि आज तक ना तो पंचायत, ना तहसील और ना ही जिला स्तर के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान दिया। जिसके कारण यहां के आदिवासी परिवारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने कई बार विकसित भारत शिविर, प्रशासन गांवों के संग अभियान व ग्राम पंचायत में होने वाली मासिक बैठक में श्मशान घाट बनवाने का प्रस्ताव दिया। इसके बावजूद जिम्मेदार मौन है और कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे ग्रामीणों में रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि जनजाति ग्रामीण विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी का क्षेत्र होने के बावजूद भी पंचायत समिति क्षेत्र में आज भी कई जगहों पर श्मशान घाट नहीं है। समाजसेवी जगदीशचंद्र गरासिया ने बताया कि क्षेत्र में इस समस्या को लेकर कई बार पंचायत समिति में भी प्रस्ताव भिजवाए। लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हुआ। ग्रामीणों ने जनजाति मंत्री खराड़ी से विधानसभा झाड़ोल क्षेत्र की सभी पंचायतों में विशेष शिविर अभियान के माध्यम से श्मशान घाट के लिए भूमि का आवंटन की मांग की है। इनका कहना है… कई ग्राम पंचायतों मे श्मशान घाट के लिए प्रस्ताव आए है। प्रस्ताव में कोई खामी रहने के कारण श्मशान घाट के लिए बजट नहीं मिला है। प्रस्ताव की प्रक्रिया को पूरा कर प्रस्ताव पुनः भेजने की कार्रवाई की जा रही हैं।
-अशोक डिंडोर, विकास अधिकारी, पंचायत समिति फलासिया पंचायत समिति फलासिया क्षेत्र में ग्राम पंचायतों में क्षेत्रीय आबादी व फलों में श्मशान घाट की समस्या है। विशेष योजना के तहत बजट जारी कर श्मशान घाट बनवाने की कोशिश की जाएगी।
बाबूलाल खराड़ी, जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री, राजस्थान सरकार