———— दिन भर मरीज परेशान, डॉक्टर मस्त – हालात ये है कि कई चिकित्सक तय समय से पहले ही हॉस्पिटल से गायब होकर बाहर अपने व्यक्तिगत कार्यों में व्यस्त रहते हैं। जाने के समय को लेकर इन चिकित्सकों की कोई माॅनिटरिंग नहीं है, जबकि बाहर व ग्रामीण अंचल से मरीजों को सुबह यहां पहुंचने से लेकर रात को घर लौटने तक खूब परेशानी उठानी पड़ती है।
—– घर आ जाना: यहां लगेगी फीस – अधिकांश चिकित्सक ओपीडी में मरीजों को तुरत-फुरत में देखने के बाद शाम के समय मरीजों को रिपोर्ट देखने या अन्य किसी बहाने से घर बुलाने लगे हैं। ऐसे में इस सरकारी ओपीडी को लेकर बड़ी परेशानी उभर कर सामने आ रही है। यहां मरीज शाम को उनके घर पहुंचता है तो पूरी फीस वसूली जाती है। इसे लेकर प्रशासनिक कोई सिस्टम ऐसा नहीं है कि चिकित्सक उपचार के नाम पर मरीजों और परिजनों पर अनावश्यक दबाव बनाते हैं।
—— और हो गई इतिश्रीचिकित्सकों के ओपीडी डे बांटे गए हैं। इस दौरान चिकित्सक मरीजों को देखते हैं, लेकिन आम दिनों में ज्यादातर ओपीडी को रेजिडेंटस ही संभालते हैं, जबकि नियमानुसार ये स्पष्ट है कि यहां पर एक हर ओपीडी मे एक-एक चिकित्सक अनिवार्य रूप से लगाया जाए।
——– ये बना रखे हैं नियम – यदि कोई डॉक्टर अपने ओपीडी टाइम में कुर्सी पर नहीं है, तो उसके लिए एमबी हॉस्पिटल में औचक निरीक्षण दल भी बना रखा है, वहीं दूसरी ओर यदि डॉक्टर्स अपनी कुर्सी छोड़कर यहां-वहां जाते है, तो उन्हें मूवमेंट रजिस्टर में लिखना होता है, लेकिन ज्यादातर डॉक्टर इसे देखते नहीं है।- एमबी की मेडिसीन ओपीडी में मरीज और डॉक्टर के बीच एक विशेष पर्दा लगवाया गया है, ताकि मरीज को बाहर से चिकित्सक नजर नहीं आए, ऐसे में यहां यदि कोई जाता है तो अन्दर कौन चिकित्सक देख रहा है, इसका पता उसे नहीं चल सकेगा।
—— फेक्ट फाइल- जैसा कि एमबी अधीक्षक डॉ आर एल सुमन ने बताया, एक पखवाडे़ का ओपीडी-आईपीडी। दिनांक- ओपीडी-आईपीडी 15 सितम्बर- 3120- 173 16- सितम्बर- 3442- 209 17 -सितम्बर 3450-180
18-सितम्बर 1121- 62 19- सितम्बर 3661- 178 20- सितम्बर 3850- 201 21- सितम्बर 3609-199 22- सितम्बर 3539-168 23- सितम्बर 3562-190 24- सितम्बर 3129- 159 25- सितम्बर 1027-64
26- सितम्बर 1087-59 27- सितम्बर 3824-199 28- सितम्बर 3447-174 29- सितम्बर 3056-135 30- सितम्बर 3086-171 —————————– 48210-2521 ————- जिन चिकित्सकों की ड्यूटी है, उन्हें अनिवार्य रूप से बैठना होता है, यदि कोई नहीं बैठता है, तो पूरी तरह से गलत है। हम मॉनिटरिंग के लिए और सख्ती करेंगे, ताकि चिकित्सक समय पर वहां मरीजों को मिले और मरीजों को उपचार मिल सके।
डॉ. लाखन पोसवाल, प्राचार्य, आरएनटी मेडिकल कॉलेज