जिले के इन सात औषधालयों में लाम्बाहरिसिंह, आंटोली, मोरला, गुराई, मण्डावर, सांखला व सूंथड़ा शामिल है। इनमें ना तो चिकित्सक हैऔर ना ही चिकित्सकर्मी। ऐसे में आयुर्वेद चिकित्सा विभाग ने समीप के औषधालय से कम्पाउण्डर दो दिन के लिए इनमें नियुक्त कर दिए।
read more: सस्ती कार दिलाने के नाम बीकानेर के युवक से हुई ठगी, आधा दर्जन आरोपियों के खिलाफ मामला हुआ दर्ज ये कम्पाउण्डर सात दिन में दो दिन इन औषधालाओं में बैठते हैं और मरीजों को परामर्श व उपचार देते हैं। हालांकि औषधालय में परिचारक (चतुर्थ श्रेणी) कर्मचारी पद होने से वह खुला रहता है, लेकिन उपचार नहीं मिलता है,। औषधालय पहुंचे रोगियों को चिकित्साकर्मी नहीं मिलने से आयुर्वेदिक उपचार सेवाएं पटरी से उतर गई है। ऐसे में रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
read more: पर्ची लेने के लिए कतार में खड़ा प्रधानाध्यापक गश खाकर गिरा इन औषधालयों में स्वीकृत वैद्य (चिकित्सा अधिकारी) व कम्पाउडर पद रिक्त है। विभाग ने लाम्बाहरिसिंह औषधालय में व्यवस्थार्थ कार्यवाहक प्रभारी का भार कम्पाउडर भंवरलाल शर्मा को दिया है। ऐसे में भंवरलाल सप्ताह में दो दिन चिकित्सा सेवा दे रहे हैं। इधर, ग्रामीण विजय गौतम ने बताया कि करीब पांच साल से वैद्य पद रिक्त चल रहा है।
कम्पाउडर सेवानिवृत होने से एक पद और रिक्त हो गया है। चिकित्साकर्मियों के अभाव में चिकित्सा सेवा ठप होने से रोगियों उपचार नहीं मिल रहा है।
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जिले का हाल
जिले में 119 औषधालय स्वीकृत है। इनमें से बीस चिकित्सा अधिकारी के पद रिक्त है। कम्पाउडर के 92 पद स्वीकृत में से 35 पद रिक्त व परिचारक के 98 स्वीकृत में से 38 पद रिक्त है।
कम्पाउण्डर को लगाया है
जिले में सात औषधालय में चिकित्साकर्मियों के पद रिक्त है। ऐसे में सप्ताह में दो दिन कम्पाउडर को व्यवस्थार्थ लगाया है। रिक्त पदों को भरने का विषय राज्य सरकार का है। पद भरने के बाद ही राहत मिलेगी।
– शिव कुमार शर्मा, उपनिदेशक आयुर्वेदिक विभाग टोंक