मोयला दो प्रकार का होता है। एक काला पंख लिए हुए होता है व दूसरा हरे रंग का बिना पंख वाला होता है। दोनों ही प्रकार का मोयला सरसों को नुकसान पहुंचाता है। मोयला सरसों के फूल व नरम फलियों के रस को चूसता है, जिससे सरसों में क्लोरोफील की मात्रा कम हो जाने से फूलों व फलियों में हरापन कम हो जाता है। ऐसा होने पर सरसों का उत्पादन प्रभावित हो जाता है व फलियां कमजोर होने से सरसों की गुणवत्ता भी घट जाती है। ऐसे में कीट व सरसों में रोग लगने की मात्रा भी बढ़ जाती है।
किसानों को मध्य अक्टूबर में सरसों की बुवाई कर देनी चाहिए, जिससे की फरवरी प्रथम सप्ताह तक फसल कट जाए। मोयला का प्रकोप पछेती फसल में अधिकांशतया होता है। मोयला से बचने के लिए खेतों के चारों ओर पीले रंग का चिपक कार्ड लगाने चाहिए। ऐसे में मोयला खेतों को छोड़ कर कार्ड के चिपक जाता है। इसके अलावा कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार रासायनिक उपचार से भी मोयला के प्रकोप से बचा जा सकता है।
किसान मोयला का समय रहते उपचार करवा कर उत्पादन व गुणवत्ता में बढ़ोतरी कर सकते है। मोयला से अनुमानत:15 से 20 प्रतिशत नुकसान हुआ है।
दिनेश बैरवा
सहायक निदेशक, कृषि(विस्तार), टोंक