दरअसल, यहां उर्दू भाषा ने गांव के युवाओं को रोजगार दिया है जिसके बाद हर घर का बच्चा उर्दू जुबान पढ़कर इसी भाषा के माध्यम से अपना भविष्य बनाना चाहता है। गांव में हर माता पिता यही चाहते हैं कि उसका बच्चा या बच्ची उर्दू भाषा पढ़कर सरकारी सेवा प्राप्त करें। उर्दू के परवान चढ़े रोमांच से घर घर में गंगाजमुनी तहजीब अपनी बिसात फैला कर युवाओं की आजीविका का मिशन बनी हुई है।
उर्दू भाषा हिन्दुओं के इस गांव में इतनी प्रभावशाली हैं कि ग्रामीण स्त्री पुरूष भी जो कभी स्कूल नहीं गए वो भी चौपाल पर बैठे बैठे एक दूसरे को उर्दू भाषा के अनेकानेक फायदे गिनाते नजर आते हैं।
यहां स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में हिंदू बच्चे उर्दू पढ़ते हैं। वर्तमान में ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में कुल 79 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। विद्यालय के प्रधानाचार्य बीरबल मीणा ने बताया कि कक्षा 11 में 31 छात्राएं और 11 छात्र तथा कक्षा 12 में 27 छात्राएं व 10 छात्र उर्दू विषय लेकर सरकारी सेवा में जाना चाहते हैं।
उर्दू से एमए बी.एड़ कर व्याख्याता बने और फिर प्रधानाचार्य बने मीणा ने बताया कि वर्ष 2013-14 शिक्षा सत्र में विद्यालय में उर्दू विषय शुरू हुई था और अब हर कोई विद्यार्थी उर्दू विषय लेकर सरकारी नौकरी पाना चाहता हैं। उन्होंने यह बताया कि इससे कई युवाओं ने उर्दू से एमए बी.एड़ कर व्याख्याता बने और फिर प्रधानाचार्य बने हैं। वरिष्ठ अध्यापक और अध्यापक भी बनकर अपना लक्ष्य प्राप्त किया हैं।