जिले में 251 आंगनबाडियों के पास स्वयं का भवन नहीं हैं।टोंक जिले में भी महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से वर्तमान में कुल 1486 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इनमें से 248 मिनी आंगनबाड़ी उपकेन्द्र शामिल है।विभाग के मुताबिक 1486 केंद्रों में से अभी तक 828 केंद्रों के पास ही स्वयं का विभागीय भवन है, जबकि 251 केंद्रों को भवन की दरकार है।
339 केन्द्र राजकीय विद्यालय भवन व 65 केन्द्र अन्य सरकारी भवनों में संचालित किए जा रहे है। जबकि 251 केंद्र किराए के भवनों में संचालित हो रहे है।आगनबाड़ी केन्द्रों में 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है, जिसका प्रमुख उदे्दश्य बच्चों को बचपन से ही शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता आदि के बारे में बताना होता है। साथ ही बच्चों में आचरण व व्यवहार के माध्यम से आत्मविश्वास जगाना, रंगों की पहचान, वर्गीकरण, मिलान, संख्या ज्ञान समेत बौद्धिक विकास को बढ़ाना है।
56680 बच्चे है कुल नामांकित विभाग के अनुसार महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से टोंक जिले में संचालित 1486 आंगनबाडी़ केन्द्रों में कुल 56680 बच्चे नामांकित है। इनमें से 0 से 6 माह के 14271, 6 माह से 3 वर्ष के 49511 व 3 वर्ष से 56680 कुल बच्चे नामांकित है।
जनसंख्या के अनुपात में खुलते हैमहिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जनसंख्या के अनुपात अनुसार संबधित स्थानों पर आंगनबाड़ी केन्द्र खोले जाने का प्रावधान है। इसके अनुसार जनसंख्या के अनुपात में एक आंगनबाड़ी केन्द्र व मिनि आंगनबाड़ी उपकेन्द्र होते है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में कार्यकर्ता व सहायिक व सहयोगिनियां की नियुक्ति किया जाता है।
जिले में स्वंय के भवनों के अभाव में किराए के भवनों में कुछ केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। जो केन्द्र किराए के भवन में संचालित किए जा रहे है उनके लिए सम्बधित निकाय व पंचायत को केन्द्र के लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया के लिए पत्र दिए हुए है।
डॉ. धर्मवीर, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग