पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि यूनेस्को द्वारा डोजियर को स्वीकार किए जाना प्रदेश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है। ओरछा अपनी अद्वितीय स्थापत्य शैली और समृद्ध ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। इससे ओरछा की ऐतिहासिक धरोहरों की वैश्विक पहचान को और मजबूती मिलेगी। साथ ही ओरछा अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेगा। कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ ने बताया कि प्रतिवर्ष केंद्र सरकार देश की एक धरोहर को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में नामांकित कराने के लिए यूनेस्को को अनुशंसा करती हैं। यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में प्रदेश के 14 स्थल शामिल हैं। खजुराहो के मंदिर समूह, भीम बैठका की गुफाएं एवं सांची स्तूप यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल स्थायी सूची में शामिल है।
ओरछा का किया चयन विदित हो कि मप्र टूरिज्म बोर्ड द्वारा ओरछा और भेड़ाघाट को यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में शामिल कराने के लिए वर्ष 2019 एवं 2021 में प्रस्ताव तैयार कराया गया था। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा योग्य मानते हुए आं यूनेस्को के विश्व धरोहर अनुभाग को अग्रेषित किया। इसके बाद टूरिज्म बोर्ड द्वारा विशेषज्ञ संस्थाओं के सहयोग से ओरछा, मांडू, भेड़ाघाट के डोजियर तैयार कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजा गया।
यह है ओरछा का महत्व ओरछा का राम राजा मंदिर विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान को राजा के रूप में पूजा जाता है। यहां का जहांगीर महल मुगल और राजपूत स्थापत्य का अनूठा संगम है। चतुर्भुज मंदिर अनूठी वास्तुकला की उत्कृष्ट मिसाल है। ओरछा किला परिसर बुंदेलखंड की शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
यह होंगे फायदे ओरछा के यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा मिलने से यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल बन जाएगा। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी। स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
यूनेस्को वल्र्ड हेरिटेज साइट बनने पर ओरछा को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संस्थाओं से संरक्षण और विकास के लिए सहयोग मिल सकता है। स्थानीय शिल्प, हस्तकला, और अन्य सांस्कृतिक उत्पादों का प्रचार-प्रसार बढ़ेगा।