महेंद्र सागर तालाब को संरक्षित करने दायर की पिटीशन हुई स्वीकार, प्रशासन ने गठित की 9 सदस्यी टीम
फर्जी तरीके से बेची जमीन, 50 से अधिक किसानों ने किया अतिक्रमण टीकमगढ़. शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले महेंद्र सागर तालाब की जमीन पर अतिक्रमण और किए जा रहे निर्माण से जहां इसके स्वरूप पर ग्रहण लग रहा है तो वहीं इसकी जमीन से कुछ हिस्सा फर्जी तरीके से बेचने का मामला भी […]
टीकमगढ़। महेंद्र सागर तालाब।
फर्जी तरीके से बेची जमीन, 50 से अधिक किसानों ने किया अतिक्रमण टीकमगढ़. शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले महेंद्र सागर तालाब की जमीन पर अतिक्रमण और किए जा रहे निर्माण से जहां इसके स्वरूप पर ग्रहण लग रहा है तो वहीं इसकी जमीन से कुछ हिस्सा फर्जी तरीके से बेचने का मामला भी सामने आया है। इसे लेकर दायर की गई पिटीशन को स्वीकार करने के साथ ही हाईकोर्ट ने इसकी विस्तृत जांच कर कार्रवाई करने के लिए प्रशासन को चार सप्ताह का समय दिया है। पिटीशन में मिले निर्देशन पर प्रशासन ने इसकी जांच के लिए 9 सदस्यीय टीम का गठन कर दिया है।
शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले महेंद्र सागर तालाब के स्वरूप से पिछले कुछ समय से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है। इसके साथ ही माफिया फर्जी तरीके से इसकी जमीन को बेचने भी लगे है। इसे लेकर नगर के कुछ युवाओं ने इसके संरक्षण के लिए जहां अभियान चलाया था तो तालाब पर होते अतिक्रमण एवं लगातार कम होते इसके रकबा को लेकर एक युवा ने हाईकोर्ट का दरवाटा खटखटाया था। हवेली रोड़ पर निवास करने वाले नितिन पुरोहित ने इसके पूरे दस्तावेज एकत्रित करते हुए इस पर हो रहे अतिक्रमण एवं जमीन की फर्जी तरीके से विक्रय को लेकर पहले प्रशासन से शिकायत की थी, लेकिन जब प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली। नितिन द्वारा दायर की गई जनहित याचिका को कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए इसे पर्यावरण संरक्षण का मामला मानते हुए कलेक्टर को चार सप्ताह के भीतर इस पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। साथ ही यह भी कहा है कि यदि प्रशासन चार सप्ताह में कार्रवाई नहीं करता है तो यह सीधा कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट माना जाएगा। हाईकोर्ट के इस सख्त निर्देश के बाद प्रशासन भी हरकत में आ गया है। कलेक्टर के निर्देशन पर तहसीलदार ने इस पूरे तालाब की जांच के लिए 9 सदस्यीट टीम का गठन किया है और तीन दिन में अपना जांच प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए है।
मिलीभगत से दर्ज किया नाम
पिटीशन दायर करने वाले नितिन ने बताया कि महेंद्र सागर तालाब का कुल रकबा 102 हैक्टेयर है। इसके बहुत से भाग पर अतिक्रमण करने के साथ ही एक बड़ा रकबा फर्जी तरीके से बेच दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस तालाब के रकबा को लेकर उनके द्वारा जो जानकारी निकाली गई तो इसके एक बड़े भाग को 15 लोगों के नाम दर्ज कर दिया गया है। उन्होंने संवत 2018 एवं संवत 2020 की पंचशाला खसरे की नकल निकाली थी जिसमें खसरा नंबर 22 की पूरी जमीन महेंद्र सागर तालाब के नाम पर है। धारा 234 एवं 337 के प्रावधानों के तहत सुरक्षित होने से इस जमीन में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा सकता है। इसके बाद भी इसके अंश भाग पर 15 लोगों के नाम दर्ज कर दिए गए है। इसमें सबसे पहले फर्जी भूस्वामी के रूप में हरप्रसाद का नाम चढ़ाया गया था। इसके बाद यह जमीन उनके परिजनों के नाम पर दर्ज की गई और उनके द्वारा इसका विक्रय कर दिया गया है।
यह टीम करेगी जांच
इस संबंध में तहसीलदार कुलदीप सिंह ने दो आरआई और सात पटवारियों की टीम का गठन किया है। तहसीलदार ने राजस्व निरीक्षक सतौला प्रसाद चौधरी, निरंजन शर्मा के साथ ही पटवारी सुधीर बिदुआ, हेमंत सोनी, मुकेश कुशवाहा, सुनील पाण्डेय, अखिलेश अहिरवार, सागर जैन एवं शोभाराम अहिरवार की टीम बनाकर तालाब के रकबा की जांच कर प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए है।
हर बार दबी जांच
विदित हो कि महेंद्र सागर तालाब भले ही नगर की लाइफ लाइन हो, लेकिन माफियाओं द्वारा इसे हमेशा ही अपने निजी स्वार्थ की संपत्ति समझा गया है। कभी इसमें अवैध खनन किया गया है तो कभी इसकी जमीन पर अतिक्रमण कर कर इसे स्वरूप को बिगाड़ने का प्रयास किया गया है। अब तो हद पार करते हुए राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से इसकी जमीन ही बेच दी गई है। इसके लिए पूर्व में भी जांचें हुई लेकिन हर बाद उन्हें दबा दिया गया। अब हाईकोर्ट के निर्देश पर होने वाली इस जांच से लगता है कि शायद तालाब को सुरक्षित किया जा सकेगा।
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