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टीकमगढ़

एमपी में सामने आएगी पुराने मठ, मंदिर-महलों की जानकारी, प्रशासन एक्टिव

MP news: एमपी में 1700 पुराने अवशेष जमींदोज हो गए थे, जिनके अवशेषों को संरक्षित करने के साथ ही खुदाई कर इनकी पूरी जानकारी सामने लाई जाएगी।

टीकमगढ़Jan 20, 2025 / 04:55 pm

Astha Awasthi

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MP news: प्राचीन काल के मठ, मंदिर, महल और अन्य अवशेष अब सामने आएंगे। करीब 1700 पुराने अवशेष जमींदोज हो गए थे, जिनके अवशेषों को संरक्षित करने के साथ ही खुदाई कर इनकी पूरी जानकारी सामने लाई जाएगी। इसके लिए प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है।
बताया जाता है कि जिले में 1700 साल पहले पत्थरों के अनूठे मठ, मंदिर और महल मौजूद थे। जिले के ग्रामीण अंचलों में मिलने वाली प्रतिमाएं, मठ-मंदिरों के जो अवशेष सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि यहां की कला संस्कृति 1700 साल पुरानी है।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

यहां चौथी से छठवीं शताब्दी के अवशेष सामने आए हैं। इनमें से कुछ अवशेष सबसे पुराने वाकाटक काल के बताए जा रहे हैं। अब इन सभी अवशेषों का संरक्षण करने के साथ ही यहां पर खुदाई कराकर इस पूरे इतिहास को सामने लाया जाएगा। इससे जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तो इतिहास के अध्ययन एवं उस समय के वास्तु, शिल्प के साथ ही समृद्ध इतिहास की जानकारी सामने आएगी।
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चौथी शताब्दी के अवशेष

सुधासागर मार्ग स्थित प्राचीन मठ, कार्तिकेय के साथ ही अन्य प्रतिमाएं चौथी से छठी सदी की हैं। ग्राम कोटरा व देरी में शैव मठ सन् 940 से 990 के बीच का है। 10वीं से 11वी सदी की कई प्रतिमाओं व मंदिरों के अवशेष भी हैं। मांडूमर में इतनी मूर्तियां मिलती हैं कि इनसे नींव भरकर मंदिर बनाया गया है।

इन स्थानों को किया जाएगा सुरक्षित

महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित करने पुरातत्व विभाग को प्रस्ताव भेजा है। इनमें कोटरा, देरी, सरकनपुर, बड़ागांव के शैव मठ, नारायणपुर का सूर्य मंदिर, आमोद मंडप, अहार का मदनेश्वर मंदिर, पपावनी की गौड़ कालीन बस्ती, लार बंजरया की गढ़ी, सुधासागर के गुप्तकालीन मंदिर शामिल हैं।
जिले की पुरासंपदा को संरक्षित कर इसे पर्यटन के नक्शे पर लाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। ऐसे 28 स्मारकों एवं प्रतिमाओं का प्रस्ताव पुरातत्व विभाग को भेजा गया है। इन स्थानों के अध्ययन से पुरातत्व महत्व की हर चीज सामने आ जाएगी। – अवधेश शर्मा, कलेक्टर, टीकमगढ़

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