स्थानीय लोगों ने बताया कि गुना के मडका खुडन गांव देवीदयाल, काशीराम, लाखनलाल पुत्र नन्हे लाल विश्वकर्मा द्वारा आरा मशीन का संचालन करतेे थे। यह मशीन रात्रि में चालू होती थी और सुबह बंद हो जाती थी। यहां बड़ी मात्रा में बेस कीमती लकडिय़ां चिरान के लिए लाई जाती थी और तीन स्थानों से लकडिय़ों की निकासी होती थी। वर्ष २०१६ में छापामार कार्रवाई के दौरान पीछे के द्वार से मशीन को छुपा लिया था। जिसके कारण कठोर कार्रवाई नहीं हो पाई थी।
बताया गया कि शनिवार की रात्रि ८:३० बजे बल्देवगढ़ वन रेंजर के साथ टीम ने गुना गांव की अवैध आरा मशीन पर छापामार कार्रवाई की। कार्रवाई के दौरान इस स्थान पर अंधेरा था। टॉर्च के उजाला से वन रक्षक द्वारा लकड़ी को देखा जा रहा था। कई स्थानों पर कीमती लकडिय़ों के ढेर लगे थे। कुछ घंटे कार्रवाई करने के बाद कर्मचारियों को आरा मशीन पर रोक दिया। रविवार की सुबह ७ बजे वन विभाग की टीम ने कार्रवाई शुरू की। एक वाहन में आरा मशीन को उखाडने की कार्रवाई की, डीजल पंप, चिरान और कुछ लकडिय़ों को भरकर कार्यालय ले गए। वहां पर रखी बेस कीमती लकड़ी की जब्ती बनाकर सुपुर्द कर वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है।
बताया गया कि गुना के मडका खुडन गांव में फर्जी आरा मशीन अवैध बिजली कनेक्शन से संचालित होती थी। जिस स्थान पर यह मशीन स्थापित थी। उस स्थान पर तीन रास्ते थे। जहां पर कार्रवाई के दौरान मशीन और अन्य सामग्री को छुपा लेते थे। वर्ष २०१६ में हुई कार्रवाई के दौरान ऐसा ही हुआ था। शनिवार की रात्रि ८:३० बजे से सुबह १२ बजे तक वन विभाग ने कार्रवाई की।
सूचना के आधा घंटे बाद रात ८:३० बजे वन विभाग की टीम अवैध आरा मशीन पर पहुंची थी। लकडिय़ों को चिन्हित किया और मशीन को उखाडक़र वन कार्यालय लाया गया है। पिछले कुछ वर्षों में भी इस मशीन पर छापामार कार्रवाई हुई थी, लेकिन मशीन को बचा लिया था। मामले की बारीकी से जांच की जाएगी। चन अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है।
नीतेश कुमार सोनी, वन रेंजर बल्देवगढ़।