शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले महेंद्र सागर तालाब के स्वरूप से पिछले कुछ समय से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है। इसके साथ ही माफिया फर्जी तरीके से इसकी जमीन को बेचने भी लगे हैं। इसे लेकर नगर के कुछ युवाओं ने इसके संरक्षण के लिए जहां अभियान चलाया था तो तालाब पर होते अतिक्रमण एवं लगातार कम होते इसके रकबा को लेकर एक युवा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हवेली रोड पर निवास करने वाले नितिन पुरोहित ने इसके पूरे दस्तावेज एकत्रित करते हुए इस पर हो रहे अतिक्रमण एवं जमीन के फर्जी तरीके से विक्रय को लेकर पहले प्रशासन से शिकायत की थी, लेकिन जब प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली। नितिन द्वारा दायर की गई जनहित याचिका को कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए इसे पर्यावरण संरक्षण का मामला मानते हुए कलेक्टर को चार सप्ताह के भीतर इस पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही यह भी कहा है कि यदि प्रशासन चार सप्ताह में कार्रवाई नहीं करता है तो यह सीधा कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट माना जाएगा। हाईकोर्ट के इस सख्त निर्देश के बाद प्रशासन भी हरकत में आ गया है। कलेक्टर के निर्देशन पर तहसीलदार ने इस पूरे तालाब की जांच के लिए 9 सदस्यीय टीम का गठन किया है और तीन दिन में अपना जांच प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए हैं।
मिलीभगत से दर्ज किया नाम याचिका दायर करने वाले नितिन ने बताया कि महेंद्र सागर तालाब का कुल रकबा 102 हेक्टेयर है। इसके बहुत से भाग पर अतिक्रमण करने के साथ ही एक बड़ा रकबा फर्जी तरीके से बेच दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस तालाब के रकबा को लेकर उनके द्वारा जो जानकारी निकाली गई तो इसके एक बड़े भाग को 15 लोगों के नाम दर्ज कर दिया गया है। उन्होंने संवत 2018 एवं संवत 2020 की पंचशाला खसरे की नकल निकाली थी जिसमें खसरा नंबर 22 की पूरी जमीन महेंद्र सागर तालाब के नाम पर है। धारा 234 एवं 337 के प्रावधानों के तहत सुरक्षित होने से इस जमीन में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा सकता है। इसके बाद भी इसके अंश भाग पर 15 लोगों के नाम दर्ज कर दिए गए है। इसमें सबसे पहले फर्जी भूस्वामी के रूप में हरप्रसाद का नाम चढ़ाया गया था। इसके बाद यह जमीन उनके परिजनों के नाम पर दर्ज की गई और उनके द्वारा इसका विक्रय कर दिया गया है।
हर बार दबी जांच विदित हो कि महेंद्र सागर तालाब भले ही नगर की लाइफ लाइन हो, लेकिन माफियाओं द्वारा इसे हमेशा ही अपने निजी स्वार्थ की संपत्ति समझा गया है। कभी इसमें अवैध खनन किया गया है तो कभी इसकी जमीन पर अतिक्रमण कर इसके स्वरूप को बिगाडऩे का प्रयास किया गया है। अब तो हद पार करते हुए राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से इसकी जमीन ही बेच दी गई है। इसके लिए पूर्व में भी जांचें हुई लेकिन हर बाद उन्हें दबा दिया गया। अब हाईकोर्ट के निर्देश पर होने वाली इस जांच से लगता है कि शायद तालाब को सुरक्षित किया जा सकेगा।
100 से पुराना है तालाब महेंद्र सागर तालाब 100 साल पुराना बताया जाता है। यह शहर के भूमिगत जलस्तर को बनाए रखने के साथ ही खेती का मुख्य जरिया है। इस तालाब से क्षेत्र के 6 अन्य तालाब चेन सिस्टम से जुड़े है। यदि इसका रखरखाव नहीं किया जाता है तो क्षेत्र की कम से कम 500 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई को पानी नहीं मिलेगा।
संरक्षण जरूरी, इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं &वर्तमान में जिले में पानी की जो समस्या है, वह इसी अनदेखी का नतीजा है। बुंदेलखंड के सूखे प्रदेश में पानी की उपलब्धता कम होने से ही जिले में 1 हजार तालाब के साथ ही कई बावड़ी और कुओं का निर्माण किया गया था। समय के साथ इन पर ध्यान न देने से वर्तमान में सिंचाई के काबिल महज 125 तालाब बचे है। महेंद्र सागर तालाब चेन सिस्टम से बना बुंदेली शैली का महत्वपूर्ण तालाब है। इस तालाब के साथ लगातार नाइंसाफी की जा रही है। तालाब की जमीन बेचने का मामला गंभीर है। इसके लिए हर किसी को आगे आना चाहिए। यदि यह तालाब एक बार खत्म हो गया तो दोबारा इस प्रकार की जल संरचना बनना मुश्किल है।
– पुष्पेंद्र सिंह, समाजसेवी। 2 आरआई और 7 पटवारी करेंगे नाप इस संबंध में तहसीलदार ने दो आरआई और सात पटवारियों की टीम का गठन किया है। इसमें राजस्व निरीक्षक सतौला प्रसाद चौधरी, निरंजन शर्मा के साथ ही पटवारी सुधीर बिदुआ, हेमंत सोनी, मुकेश कुशवाहा, सुनील पाण्डेय, अखिलेश अहिरवार, सागर जैन एवं शोभाराम अहिरवार की टीम बनाकर तालाब के रकबा की जांच कर प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए हैं।