वैदपुर निवासी राधारमन पस्तोर कहना था कि परेवा बांध परियोजना के भराव में २३० एकड़ जमीन आ रही थी। उन किसानों को धारा ७ के तहत राजस्व विभाग ने जमीन खाली करने किसानों को नोटिस दिए थे। पटवारी, आरआई और तहसीलदार के साथ संबंधित विभाग के अधिकारी और कर्मचारी जमीनों की नापतौल किया जाने लगा, लेकिन काम बंद हो गया।
चंद्रपुरा निवासी हरनारायण घोष का कहना था कि उर नदी और पराई नदी पर परेवा बांध निर्माण होने से मजना, छीपौन से लेकर दिगौड़ा, धामना क्षेत्र के गांवों की सिंचाई होने की संभावना थी। जल स्तर के बढऩे की उम्मीद भी जताई गई थी। खाली पड़ी जमीन में अन्य सीजन की फसलों को भी उगाया जा सकता था, लेकिन अब केन वेतबा लिंक परियोजना से उम्मीद जताई जा रही है।
चंद्रपुरा निवासी नरेन्द्र सिंह परमार, जमुना आदिवासी, आसाराम, नाथ,रामसेवक आदिवासी ने बताया कि चंद्रपुरा का बहेरिया खिरक पूरा डूब क्षेत्र में आ गया था। वहां के लोगों ने दूसरी जगह घर बनाने और जीवन यापन के लिए जमीन खोजने का कार्य शुरू कर दिया था। एक बार काम शुरू होकर बंद हो गया।
किसानों ने बताया कि परेबा बांध से रामगढ़, चंद्रपुरा, हरपुर, शिवपुरा, कमल नगर, वैदपुर, लार खुर्द, पठरा, हृदय नगर, मांची, जरुबा, भगवंतपुरा, मजना, धामना, बैदऊ, किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलता, क्योंकि यहां पर दो नदियों का पानी तालाब में भरने से पराई नदी और उर नदी का पानी उत्तर प्रदेश पहुंच जाता है, जिसके रुकने किसानों को लाभ होता।
इस बांध परियोजना में ३५० हेक्टेयऱ जमीन वन विभाग की आ रही है। वन विभाग से अनुमति नहीं मिल रहा है। इस कारण से निर्माण कार्य आज भी रूका है। अब पूरा फोकस केन बेतवा लिंक परियोजना पर है। इस परियोजना से किसानों को लाभ मिलेगा।
सौरभ पटेल, एसडीओ जल संसाधन विभाग जतारा।
दीपेंद्र सिंह, ईई जल संसाधन विभाग टीकमगढ़।