scriptवर्ष 2011-12 में 65करोड़ से स्वीकृत हुआ था पराई नदी पर परेवा बांध, 230 एकड़ में किया जाना था भराव | In the year 2011-12, Pareva Dam on Parai River was sanctioned for Rs. 65 crores, 230 acres of land was to be filled | Patrika News
टीकमगढ़

वर्ष 2011-12 में 65करोड़ से स्वीकृत हुआ था पराई नदी पर परेवा बांध, 230 एकड़ में किया जाना था भराव

पराई नदी

टीकमगढ़Dec 25, 2024 / 10:46 am

akhilesh lodhi

पराई नदी

पराई नदी

धारा 7 के तहत राजस्व विभाग ने जमीन खाली किसानों को दिए गए थे नोटिस, 12 साल से बंद पड़ी योजना

टीकमगढ़. जतारा तहसील की उर नदी पर परेवा बांध की स्वीकृति वर्ष २०११-१२ में मिली थी। इसके निर्माण की स्वीकृति ६५ करोड़ में मिली थी। धार ७ के तहत २३० एकड़ भराव वाली जमीन को खाली करने के लिएकिसानों को राजस्व विभाग ने नोटिस दिए थे। टेंडर जारी के बाद काम शुरू हो गया था, लेकिन वर्ष २०१३ में काम रोक दिया गया। वह अब तक शुरू नहीं हो पाया है।
जिले के कई तहसील क्षेत्रों में सिंचाई का पानी नहीं पहुंच पा रहा था। शासन के निर्देश पर उर नदी और पराई नदी के बीच सर्वे किया गया। सर्वे के बाद परेवा स्थित जगह पर बांध बनाने की स्वीकृति मिली। बांध के भराव और सिंचाई क्षेत्र को चिन्हित किया गया। जिसमें वन विभाग के साथ राजस्व विभाग और पटैती भूमि दर्ज थी। उसका निर्माण करने ६५ करोड रुपए स्वीकृत किए गए। टेंडर जारी करके काम का शुभारंभ किया गया। लेकिन वन विभाग की ३५० एकड़ जमीन आने से निर्माण कार्य वर्ष २०१३ में बंद कर दिया गया। उसके बाद किसी भी विभाग और जिम्मेदारों ने प्रयास नहीं किया।
जमीन खाली करने किसानों को दिए थे नोटिस
वैदपुर निवासी राधारमन पस्तोर कहना था कि परेवा बांध परियोजना के भराव में २३० एकड़ जमीन आ रही थी। उन किसानों को धारा ७ के तहत राजस्व विभाग ने जमीन खाली करने किसानों को नोटिस दिए थे। पटवारी, आरआई और तहसीलदार के साथ संबंधित विभाग के अधिकारी और कर्मचारी जमीनों की नापतौल किया जाने लगा, लेकिन काम बंद हो गया।
मजना से लेकर दिगौड़ा तक हा सकती थी सिंचाई
चंद्रपुरा निवासी हरनारायण घोष का कहना था कि उर नदी और पराई नदी पर परेवा बांध निर्माण होने से मजना, छीपौन से लेकर दिगौड़ा, धामना क्षेत्र के गांवों की सिंचाई होने की संभावना थी। जल स्तर के बढऩे की उम्मीद भी जताई गई थी। खाली पड़ी जमीन में अन्य सीजन की फसलों को भी उगाया जा सकता था, लेकिन अब केन वेतबा लिंक परियोजना से उम्मीद जताई जा रही है।
डूब क्षेत्र में आ रहा था चंद्रपुरा का बहेरिया खिरक
चंद्रपुरा निवासी नरेन्द्र सिंह परमार, जमुना आदिवासी, आसाराम, नाथ,रामसेवक आदिवासी ने बताया कि चंद्रपुरा का बहेरिया खिरक पूरा डूब क्षेत्र में आ गया था। वहां के लोगों ने दूसरी जगह घर बनाने और जीवन यापन के लिए जमीन खोजने का कार्य शुरू कर दिया था। एक बार काम शुरू होकर बंद हो गया।
दर्जनों गांवों को मिल सकता था लाभ
किसानों ने बताया कि परेबा बांध से रामगढ़, चंद्रपुरा, हरपुर, शिवपुरा, कमल नगर, वैदपुर, लार खुर्द, पठरा, हृदय नगर, मांची, जरुबा, भगवंतपुरा, मजना, धामना, बैदऊ, किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलता, क्योंकि यहां पर दो नदियों का पानी तालाब में भरने से पराई नदी और उर नदी का पानी उत्तर प्रदेश पहुंच जाता है, जिसके रुकने किसानों को लाभ होता।
इनका कहना
इस बांध परियोजना में ३५० हेक्टेयऱ जमीन वन विभाग की आ रही है। वन विभाग से अनुमति नहीं मिल रहा है। इस कारण से निर्माण कार्य आज भी रूका है। अब पूरा फोकस केन बेतवा लिंक परियोजना पर है। इस परियोजना से किसानों को लाभ मिलेगा।
सौरभ पटेल, एसडीओ जल संसाधन विभाग जतारा।
अभी मैं प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर खजुराहो में हूं। जानकारी करके बाताता हूं।
दीपेंद्र सिंह, ईई जल संसाधन विभाग टीकमगढ़।

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