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टीकमगढ़

गड़बड़झाला: ठेकेदार की मृत्यु के बाद फर्म को 31 कार्य देकर निकाले 52 लाख

टीकमगढ़. ठेकेदार की मौत के बाद उसके रजिस्ट्रेशन पर 31 काम देकर 52 लाख रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। एसडीओपी की जांच के बाद देहात थाना पुलिस ने इस मामले में पीएचई विभाग के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री डीके राठौर, संभागीय लेखाधिकारी वीएम खरे एवं मृतक ठेकेदार का रजिस्ट्रेशन उपयोग करने वाले ठेकेदार राजेश बब्लू जैन के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मामला पंजीबद्ध कर लिया है।

टीकमगढ़Nov 27, 2024 / 06:22 pm

Pramod Gour

फोटो फाइल

फोटो फाइल

पीएचई के ईई, संभागीय लेखाधिकारी और ठेकेदार पर दर्ज हुआ धोखाधड़ी का मामला

टीकमगढ़. ठेकेदार की मौत के बाद उसके रजिस्ट्रेशन पर 31 काम देकर 52 लाख रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। एसडीओपी की जांच के बाद देहात थाना पुलिस ने इस मामले में पीएचई विभाग के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री डीके राठौर, संभागीय लेखाधिकारी वीएम खरे एवं मृतक ठेकेदार का रजिस्ट्रेशन उपयोग करने वाले ठेकेदार राजेश बब्लू जैन के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मामला पंजीबद्ध कर लिया है।
मेसर्स एसपीआर बोरवेल कंपनी के प्रोप्राइटर पी रंगराजन पीएचई में ठेकेदारी का काम करते थे। पीएचई में काम करने के दौरान टीकमगढ़ में ही रहते हुए 12 दिसंबर 2000 को पी रंगराजन की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार राजेश बब्लू जैन द्वारा इनकी फर्म के दस्तावेज पर वर्ष 2001 से 2002 तक कुल 31 कार्य लिए गए। इसी फर्म पर काम करते हुए विभाग ने राजेश बब्लू जैन को 52.12 लाख के भुगतान दिए गए। यह सभी कार्यादेश और भुगतान राजेश बब्लू जैन ने अपने हस्ताक्षर से लिए। इस फर्जीवाड़ा की शिकायत विभाग के ही एक कर्मचारी द्वारा पुलिस अधीक्षक के साथ ही लोकायुक्त से की गई थी। शिकायत पर एसपी ने यह जांच एसडीओपी राहुल कटरे को दी थी। जांच में यह फर्जीवाड़ा सही पाए जाने पर सीडीओपी के प्रतिवेदन पर देहात थाना प्रभारी रवि कुमार गुप्ता ने ठेकेदार राजेश बब्लू जैन, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री डीके राठौर एवं तत्कालीन संभागीय लेखाधिकारी वीएम खरे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
नहीं मिला बैंक और ट्रेजरी से रिकॉर्ड

इस मामले की जांच में विभाग से भुगतान लेने वाले ठेकेदार के साथ ही स्टेट बैंक और ट्रेजऱी भी किए गए भुगतान की जानकारी नहीं दे सके है। इससे यह भी पता नहीं चल सका है कि यह भुगतान किस खाते में गया है।
प्रोपराइटर की मृत्यु के बाद नहीं ले सकते काम

जांच में विभाग से दी गई जानकारी में बताया गया है कि फर्म के प्रोपराइटर की मृत्यु के बाद उस फर्म को काम नहीं दिया जा सकता है। यदि प्रोपराइटर भी किसी को फर्म के रजिस्ट्रेशन पर काम करने का लिखित आदेश देता है तो उसकी मृत्यु के बाद वह भी मान्य नहीं होता ै। इसके बाद भी अधिकारी और ठेकेदार नियम विरुद्ध तरीके से फर्म पर काम करते रहे।
सामान की राशि बकाया के बाद भी फर्म का पूरा भुगतान

जांच में यह भी सामने आया है कि एसपीआर फर्म की काम के दौरान विभाग द्वारा सामान सप्लाई किया गया था, इसका फर्म पर 6 लाख से अधिक बकाया था। इस राशि को फर्म के फाइनल भुगतान में समायोजित किया जाना था, लेकिन यह नहीं किया गया और ठेकेदार रंगराजन की मौत के बाद भी पूरा भुगतान कर दिया गया। यह भी नियम विरुद्ध बताया गया है।

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