डॉ गौर के प्रयासों से आज बुंदेलखंड के साथ देश और विदेश के छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे है। यह विश्वविद्यालय भारत का18 वां विश्वविद्यालय और मध्य प्रदेश का सबसे पुराना है। सबसे बड़ा विश्वविद्यालय शायद एक व्यक्ति की गाढ़ी कमाई का लगभग दो करोड़ रुपए से स्थापित हुआ था। एक महान न्यायविद और कानूनी प्रखर समतावादी होने के अलावा, वह एक महान देशभक्त, परोपकारी, शिक्षाविद और सामाजिक सुधारक थे।
हनुमंत हायर सेकेंडरी विद्यालय के प्राचार्य सरोज रजक ने कहा कि डॉ. गौर बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। जबलपुर अपने भाई के पास गए और पडऩे के लिए प्रेरित किया। उसके बाद मैट्रिक की परीक्षा में प्रथम आए। इन्हें 50 रुपए नगद एक चांदी की घडी एवं बीस रुपए की छात्रवृति मिली। आगे की शिक्षा के लिए वे हिलसप कॉलेज में भर्ती हुए। पूरे कॉलेज में अंग्रेजी एव इतिहास में ऑनर्स करने वाले ये एकमात्र छात्र थे।
पत्रिका के अभियान में लिखे गए पोस्ट कार्ड
उन्होंने बताया कि पत्रिका द्वारा डॉ सर हरिसिंह गौर को भारत रत्न दिलाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। जिले में हजारों छात्रों ने सर गौर को भारत रत्न दिलाने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पोस्ट कार्ड लिखे। इस दौरान शिक्षक मोहनी, रजनीश, पूजा, रागनी, प्रियंका, भारज प्रजापति, छात्रा नंदनी,शाहिद, संतोष, हरिओम नामदेव, प्रांशू यादव, प्राची, अमर रजक, उमेश यादव, राघवेंद्र कुशवाहा, सत्यम यादव, शिवम, दीपक पाल, इंदल राजपूत, आकाश रहे।