पत्रिका की टीम दोपहर १:३० परिवहन कार्यालय पहुंच गई थी। दोपहर २:३० बजे तक दोनों स्थानों का माहौल देखती रही। एजेंट ऐसे लग रहे थे, जैसे यह आरटीओ ऑफिस के कर्मचारी हो। वहीं लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदकों की भीड़ जमा हो रही थी। किसी को स्थाई और किसी को अस्थाई लाइसेंस दिए जा रहे थे। लेकिन वाहन टेस्ट का कार्य दिखाई नहीं दे रहा था। आवेदक रामबगस यादव और प्रेमपाल कुशवाहा ने बताया कि मेरे साथ के लोगों का स्थाई लाइसेंस बन गया है। उन्होंने कोई वाहन टेस्ट नहीं दिया। इस बारे में ना तो एजेंट ने बताया और ना ही लाइसेंस देने वाले बाबूओं ने।
बताया गया कि मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम १९८८ के तहत मोटर वाहन चलाने में प्रशिक्षण देने लिए स्कूल के लाइसेंस और नियमों का प्रावधान है, ये स्कूल सफल प्रशिक्षण पर प्रमाण पत्र जारी करते है, लेकिन टीकमगढ़ जिले में इस प्रकार का ड्राइविंग स्कूल नहीं है। यहां पर एजेंटों के हस्ताक्षर, ऑनलाइन रुपयों की रसीद के साथ आवेदक की फोटो को चस्पा करके परिवहन कार्यालय में जमा कर दिए जाते है। कुछ ही दिन फोटो निकलवाकर अस्थाई फिर दोवारा फोटो निकलवाकर स्थाई लाइसेंस बन जाता है। इसके बाद भी वाहन चालने का टेस्ट नहीं लिया जाता और ना ही लाइसेंस धारियों को दाएं, बांए, अंधा मोड़ों पर कैसे गाडिय़ां चलाने सहित अन्य बारीकियों को बताया जाता है।
जिले के साथ नगर में बैटरी और पेट्रोल वाली बाइकों को लिए नाबालिग और बालिग प्रत्येक सडक़ पर दौड़ाते हुए दिखाई दे रहे है। बगैर लाइसेंस और हेलमेट के रेस लगाते हुए दिख रहे है। यातायात नियमों के लिए चौक चौराहा बनाए गए है, लेकिन उनके द्वारा यातायात नियमों का पालन नहीं दिया जा रहा था।