टीकमगढ़. चार दिन में कड़ाके की ठंड से बच्चों की सेहत पर असर पड़ा है। इसमें सबसे ज्यादा कम वजन और देर से रोने वाले बच्चे पीडि़त है। जिला अस्पताल में प्रतिदिन ३० से अधिक और निजी डॉक्टरों के पास १५० से अधिक बच्चे उपचार के लिए आ रहे है। रोज ५ से ७ बच्चों को नवजात शिशु गहन ईकाइ में भर्ती करना पड़ रहा है। इनमें सबसे ज्यादा निमानिया, संक्रमण के बच्चे आ रहे है। उनकी सावधानी रखने के लिए अभिभावकों को लगातार जागरूक किया जा रहा है।
इस कड़ाके की ठंड से बच्चे बीमार हो रहे है। सबसे ज्यादा कम वजन वाले बच्चों को सर्दी, जुकाम, बुखार हो रहा है। समय पर उपचार नहीं होने के कारण कई बच्चों को बैक्टीरियल निमोनिया जकड रहा है। इसमें फेंफड़ों की छोटी वायु थैली और उनके आसपास के ऊतकों में संक्रमण हो जाता है। बच्चों को स्वस्थ होने में ज्यादा समय लग रहा है। कुछ बच्चों को अस्पताल में भी भर्ती करना पड़ रहा है। शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि बच्चो को ठंड में सुरक्षित रखे। बीमार होने पर डॉक्टर को दिखाए।
इस कड़ाके की ठंड से बच्चे बीमार हो रहे है। सबसे ज्यादा कम वजन वाले बच्चों को सर्दी, जुकाम, बुखार हो रहा है। समय पर उपचार नहीं होने के कारण कई बच्चों को बैक्टीरियल निमोनिया जकड रहा है। इसमें फेंफड़ों की छोटी वायु थैली और उनके आसपास के ऊतकों में संक्रमण हो जाता है। बच्चों को स्वस्थ होने में ज्यादा समय लग रहा है। कुछ बच्चों को अस्पताल में भी भर्ती करना पड़ रहा है। शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि बच्चो को ठंड में सुरक्षित रखे। बीमार होने पर डॉक्टर को दिखाए।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ पीएल विश्वकर्मा की सलाह है कि सर्दी, खांसी, बुखार 2 3 दिन से ज्यादा रहने पर डॉक्टर से जांच और उपचार लें। इसके साथ ही बच्चों को ठंडी हवा के सीधे संपर्क में आने दे। निमोनिया, बैक्टीरिया के कारण बच्चों को सांस लेने में मुश्किल हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है। इलाज में देरी होने पर निमोनिया जानलेवा हो जाता है।
बच्चों में ये है बीमारी के लक्ष्ण
बच्चों में बुखार, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, छाती में दर्द, थकान,सिरदर्द यह बरती जाए सावधानी
बच्चों के कान ढांककर रखें, खेलने के दौरान भी गरम कपड़े पहनाएं,गुनगुना पानी पिलाएं, ठंडी, शीत वाली खाद्य सामग्री ना खिलाएं,सर्दी होने पर भाप दिलाएं, घर में किसी को सर्दी खांसी, बुखार होने पर मास्क का उपयोग करें।
बच्चों में बुखार, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, छाती में दर्द, थकान,सिरदर्द यह बरती जाए सावधानी
बच्चों के कान ढांककर रखें, खेलने के दौरान भी गरम कपड़े पहनाएं,गुनगुना पानी पिलाएं, ठंडी, शीत वाली खाद्य सामग्री ना खिलाएं,सर्दी होने पर भाप दिलाएं, घर में किसी को सर्दी खांसी, बुखार होने पर मास्क का उपयोग करें।
इनका कहना
कम वजन और देरी से रोने वाले बच्चो के साथ निमोनिया और संक्रमण वाले बच्चो को नवजात शिशु गहन ईकाइ में भर्ती करना पड़ता है। ठंड से बच्चो का बचाव करे। पांच तक के बच्चो में ज्यादा समस्या होती है। भीडभाड वाली जगह में बच्चो को न ले जाए और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से दूर रहे। घबराए नहीं, डॉक्टर की सलाह पर उपचार कराए।
डॉ. पीएल विश्वकर्मा, शिशु रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल टीकमगढ़।
कम वजन और देरी से रोने वाले बच्चो के साथ निमोनिया और संक्रमण वाले बच्चो को नवजात शिशु गहन ईकाइ में भर्ती करना पड़ता है। ठंड से बच्चो का बचाव करे। पांच तक के बच्चो में ज्यादा समस्या होती है। भीडभाड वाली जगह में बच्चो को न ले जाए और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से दूर रहे। घबराए नहीं, डॉक्टर की सलाह पर उपचार कराए।
डॉ. पीएल विश्वकर्मा, शिशु रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल टीकमगढ़।