टीकमगढ़. पीतल पर टीकमगढ़ की अनूठी कारीगरी से बनी मूर्तियां व अन्य सजावटी सामान देश-दुनिया में महज एक क्लिक पर उपलब्ध होगी। पीतल पर यहां की अनूठी कारीगरी को फिर से जीवंत बनाने के लिए यहां मेटल क्राफ्ट का हब बनाया जाएगा। इसके लिए प्रशासन ने जमीन चिह्नित करने और वेबसाइट बनवाने का निर्णय लिया है। सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो जिले में विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हाथ से पीलत की मूर्तियां और अन्य सजावटी सामान बनाने की कास्तकारी को फिर से नया जीवन दिया जाएगा।
यूं तो देश में अनेक स्थानों पर पीतल की कारीगरी कर मूर्तियां, बर्तन सहित तमाम साजो-सामान बनाए जाते हैं, लेकिन जिले में एक बार उपयोग किए जाने वाले मिट्टी के सांचे में बेहतरीन तरीके से ढाले जाने वाली मूर्तियों एवं सामान का इस क्षेत्र में विशेष स्थान है। एक समय था, जब जिले में पचास से भी अधिक कारीगर इस क्षेत्र में काम करते थे। लेकिन शासन से मिलने वाली सहायता एवं इन कलाकृतियों को उपलब्ध कराए जाने वाले बाजार की सुविधा बंद होने से इन कारीगरों की संख्या में भी तेजी से कमी आई है। स्थिति यह है कि वर्तमान में लगभग एक दर्जन कारीगर ही यह काम कर
रहे हैं।
राष्ट्रपति तक से हो चुके हैं सम्मानित
जिले में पीतल का काम करने वाले कारीगरों की कला का लोहा राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पर माना जा चुका है। पीतल की मूर्तियों का काम करने वाले हरीश सोनी और धनीराम सोनी को जहां राष्ट्रपति के हाथों नेशनल अवार्ड मिल चुका है। वहीं रामभरोसे सोनी, हरिाम सोनी, रामकली सोनी, रमेश सोनी, पन्नालाल सोनी, ओमप्रकाश सोनी, कांता सोनी, राकेश सोनी, कुलदीप सोनी, संदीप सोनी एवं सुंदरलाल सोनी भी मुख्यमंत्री के हाथों राज्यस्तरीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। इन कारीगरों का कहना था कि पहले शासन स्तर से उन्हें बहुत मदद मिलती थी। राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर कई प्रदर्शनियां आयोजित की जाती थी जहां सामान और मूर्तियों के अनेक ग्राहक मिलते थे। ऐसे में उनकी मेहनत का उचित मेहनताना मिल जाता था, लेकिन पिछले कुछ समय से यह सब बंद हो गया है।
मिली है पहचान
जिले का पहचान रही चुकी पीतलकी मूर्तियों की कास्तकारी को फिर से स्थान देने के लिए प्रशासन ने यहां पर मेटल क्राफ्ट का हब बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए कलेक्टर प्रियंका दास ने जिला उद्योग केन्द्र एवं हस्तशिल्प विकास निगम के साथ मिलकर पूरी कार्ययोजना तैयार की है। इस कार्ययोजना के अनुसार जिले में आरटीओ कार्यालय के पास पीतल के कारीगरों को 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। इस जमीन पर इन कारीगरों की भट्टी स्थापित करने के साथ ही इन्हें मूर्तियों के निर्माण के लिए स्थान, सेल्स काउंटर, कॉमन हॉल, कांफ्रेंस हॉल सहित तमाम सुविधाएं दी जाएंगी। वहीं इन कारीगरों को आर्थिक मदद मुहैया कराने के लिए प्रशासन द्वारा जिला उद्योग केन्द्र की मदद से इन्हें विभिन्न योजनाओं के तहत बैंक से लिंक कराया जाएगा।
मेहनत को नहीं मिलता सहयोग
वर्तमान में पीतल का काम कर रहे स्टेट अवार्ड जीत चुके रामभरोसे सोनी का कहना है कि उनके यहां पीढिय़ों से यह काम हो रहा है। मिट्टी का सांचा बनाकर हाथ से कलाकृति बनाने में लगभग दो माह का समय लगता है। उनके द्वारा पीतल के एक टन के बनाए गए दो विशाल शेर वर्तमान में दिल्ली में नोएडा में एक निजी बैंक के बाहर रखे हुए हैं। इसके लिए वह चारों भाई 6 माह तक लगातार काम करते रहे थे। उन्होंने बताया कि उनके भाई हरीश कुमार सोनी एवं धनीराम सोनी को राष्ट्रपति द्वारा नेशनल अवार्ड भी दिया जा चुका है। यही हाल रमेश कुमार सोनी का है। वह भी इस कला में राज्य स्तरीय पुरस्कार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से प्राप्त कर चुके हैं। उनके यहां भी पैतृक रूप से यह काम हो रहा है और उनकी मां रामकली सोनी भी यह पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं।
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