इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि मां नेतुला के दरबार में आने वाले लोगों का नेत्र से संबंधित विकार दूर होता है। यही कारण है कि जमुई काली मंदिर में सालों भर नेत्र रोग से परेशान पुरूष और महिला श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे भक्तिभाव से 30 दिनों तक धरना देने पर मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
हजारों साल पुराना है इस मंदिर का इतिहास मां नेतुला मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। बताया जाता है कि भगवान महावीर जब घर त्याग कर ज्ञान की तलाश में निकले थे, तब उन्होंने पहला दिन मां नेतुला मंदिर परिसर स्थित वटवृक्ष के नीचे रात्रि विश्राम किया था। कहा जाता है कि भगवान महावीर ने इसी स्थान पर अपना वस्त्र त्याग कर दिया था। इसका उल्लेख जैन धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथ कल्पसूत्र में भी वर्णित है।
मंगलवार को उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़ मां नेतुला के दरबार में प्रत्येक मंगलवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। वहीं नवरात्रा के दौरान मां नेतुला की पूजा अर्चना का विशोष महत्व है। मान्यता है कि मां नेतुला के दरबार में कष्टी देने से नेत्र से संबंधित विकार दूर हो जाता है। मनचाही मुराद पूरी होने के बाद श्रद्धालु सोने या चांदी की आंखें चढ़ाते हैं। यही कारण है कि सालों भर माता के दरबार में नेत्र रोग से परेशान पुरूष व महिला श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है।