स्थायी समिति इस मुद्दे को उठाए
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे और उन देशों की संस्कृति में बहुत अंतर है, जहां से ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आए हैं। इसलिए मैं चाहूंगा कि स्थायी समिति इस मुद्दे को उठाए। मौजूदा कानून को मजबूत करने की जरूरत है और मैं इस पर आम सहमति का अनुरोध करता हूं। अश्विनी वैष्णव ने ऑनलाइन पोस्ट की गई सामग्री पर संपादकीय जांच की कमी को भी दोषी ठहराया। जिस तरह से संपादकीय सामग्री हुआ करती थी, संपादकीय जांच होती थी, अगर कुछ सही या गलत है वो खत्म हो गई है। प्रेस की स्वतंत्रता का सोशल मीडिया एक माध्यम है, लेकिन साथ ही उस संपादकीय जांच के खत्म होने के कारण अश्लील सामग्री भी चलाई जाती है।
‘युवा गुमराह हो रहे हैं’
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया के कई सारे प्लेटफॉर्म सामने आए हैं। इनपर कुछ भी परोसा जा रहा है। इन सामग्रियों की वजह से हमारे युवा गुमराह हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर पोस्ट की गई सामग्री के प्रति मॉडरेटर अधिक जिम्मेदार बनें। उन्होंने इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को शिकायत अधिकारी नियुक्त करने की भी बात कही, ताकि निगरानी उचित और त्वरित हो।
‘गलत खबरें लोकतंत्र और समाज के लिए खतरनाक है’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नये कानून और निगरानी का मकसद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जिम्मेदार कंटेंट के बीच संतुलन बनाना होगा। उन्होंने डिजिटल प्लेटफार्मों पर सनसनीखेज और विभाजनकारी मानसिकता को बढ़ावा देना वाली सामग्री पर भी नियंत्रण रखने की बात कही। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गलत खबरों के फैलने से ना केवल विश्वास घटता है बल्कि यह लोकतंत्र और समाज के लिए भी खतरनाक है।