दरअसल ये देवी भगवती का एक मंदिर है, जो देश की राजधानी दिल्ली से काफी नजदीक है। आइए मंदिर के बारे में…
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले की खुर्जा तहसील में स्थित है। इस मंदिर का नाम नवदुर्गा शक्ति मंदिर है। मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां परिक्रमा करने से ही मन की मुरादें पूरी हो जाती हैं। लेकिन 7, 11 या 21 नहीं, बल्कि 108 बार करनी होती है परिक्रमा।
इसके अलावा मंदिर परिसर में एक स्तंभ भी है। इसे मनोकामना स्तंभ के नाम से जानते हैं। कहते हैं कि मंदिर की परिक्रमा के बाद इस मनोकामना स्तंभ पर गांठ भी लगानी चाहिए। ऐसा करने से मन की हर मुराद पूरी हो जाती है।
बता दें कि मंदिर में मौजूद देवी भगवती की प्रतिमा में मां के नौ रूप नजर आते हैं। माता की यह भव्य प्रतिमा चार टन अष्टधातु से बनी है जिसके 27 खंड हैं। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा की इतनी भव्य और विलक्षण मूर्ति पूरे भारतवर्ष में नहीं है।
दो हजार वर्गफीट में बना यह मंदिर अद्वितीय मूर्ति कला का नमूना है जहां माता की प्रतिमा अट्ठारह भुजाओं वाली है। इस मूर्ति को 100 से अधिक मूर्तिकारों ने तैयार किया था। यह दिव्य मूर्ति 14 फीट ऊंची और 11 फीट चौड़ी है। मां की प्रतिमा के दाईं ओर हनुमान जी और बाईं ओर भैरो जी की प्रतिमा है। रथ के शीर्ष पर भगवान शंकर और रथ के सारथी श्रीगणेश हैं।
इस मंदिर का निर्माण 1993 में हुआ था और 13 फरवरी 1995 को इस मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। विशेष बात यह है कि मंदिर में स्थापित देवी मां मूर्ति काफी चमत्कारी है।
कहते हैं कि चाहे कितना भी बड़ा कष्ट क्यों न हो अगर मां की मूर्ति को देखने लगें तो यूं लगता है जैसे जीवन में कोई कष्ट है ही नहीं। मंदिर की ऊंचाई 30 फीट है और इसका शिखर 60 फीट ऊंचा है। यह मंदिर एक ही पिलर पर टिका है। कहा जाता है कि मंदिर की 108 परिक्रमा गोवर्धन की एक परिक्रमा के बराबर होती हैं।
ज्ञात हो कि यह मंदिर सुबह चार बजे खुलता है और शाम पांच बजे मंगला आरती होती है। वहीं शाम के समय मंदिर चार बजे खोल दिया जाता है और सात बजे भव्य आरती होती है। यूं तो साल भर पूजा का यही क्रम चलता है लेकिन नवरात्रि के दिनों में मां भगवती की विशेष पूजा-अर्चना होती है। अष्टमी के दिन मां को एक हजार किलो हलवे का भोग लगाया जाता है।