क्या है अमरता के रहस्य से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब माता पार्वती ने भोलेनाथ से अमरता का रहस्य जानने की इच्छा प्रकट की तो पहली बार में भोलेनाथ में उन्हें बताने से इंकार कर दिया। लेकिन माता पार्वती के बार-बार प्रार्थना करने पर शिव जी मान गए। लेकिन इस गुप्त बात को कोई और न सुन पाए इसलिए वे दोनों किसी एकांत स्थान के लिए हिमालय पर्वत की तरफ चल दिए।
साथ ही शिवजी ने इस बात को पूर्ण रूप से गोपनीय रखने के लिए नंदी बैल, अपनी जटाओं से चंद्रमा को, कंठ से सांपों को और गणेश को साथ न ले जाने का निश्चय किया। तत्पश्चात पंचतत्वों पृथ्वी, वायु, आकाश, आग तथा पानी का परित्याग कर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के गुफा के अंदर चले गए।
उस गुफा के अंदर शिवशंभु ने अपने आसपास अग्नि प्रज्वलित करके वह स्वयं ध्यान मुद्रा में लीन हो गए और फिर माता पार्वती को अमरता का रहस्य बताने लगे। परंतु उस जलाई हुई अग्नि से महादेव के आसन के नीचे कबूतर के अंडे भस्म नहीं हो पाए और अंडों से निकलकर कबूतर के एक जोड़े ने अमरता की कथा को सुन लिया।
कहते हैं कि अमरनाथ में आज भी तीर्थयात्रियों को गुफा के भीतर कबूतर का जोड़ा दिखाई देता है जिसे अमर पक्षी की नाम से जाना जाता है। और चूंकि इस गुफा के अंदर ही अमरता के रहस्य की कथा महादेव द्वारा सुनाई गई थी इसलिए इस गुफा को अमरनाथ गुफा कहा जाने लगा।
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