जिला न्यायालय (District Court) में तैनात एडीजे तृतीय मनोज कुमार शुक्ल की अदालत में गुरुवार को एक मामले में सुनवाई के दौरान महिला वकील शशि सिंह से जज मनोज कुमार शुक्ल की कहासुनी हो गई। यह कहासुनी ड्रेस को लेकर शुरू हुई, जो धीरे-धीरे विवाद में बदल गई। बात यहां तक बढ़ गई कि सिविल ड्रेस पहनकर कोर्ट आई महिला वकील के साथ अभद्र व्यवहार के अलावा जज ने उन्हें कस्टडी में लेने का भी निर्देश दे दिया। वकील के साथ हुए अभद्र व्यवहार की सूचना मिलते ही वकील आक्रोशित हो उठे।
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लाइसेंसी शस्त्र दिखाकर वकीलों को धमकाने का प्रयास
मिली जानकारी के मुताबिक जब जज की कार्यशैली पर वकीलों ने विरोध जताया तो जज मनोज कुमार शुक्ल अपना लाइसेंसी शस्त्र (Gun Licence) दिखाकर वकीलों को धमकाने का प्रयास करने लगे, लेकिन जब वकील आक्रोशित हो उठे तो जज डायस छोड़कर चैम्बर में चले गए। वकीलों का कहना है कि तेज बरसात की वजह से गुरूवार को अधिवक्ता संगठन की तरफ से वादकारियों की परेशानियों को देखते हुए अदालतों पर नो एडवर्स आर्डर का प्रस्ताव भेजा गया था। जिसके चलते न्यायिक कामकाज प्रभावित भी रहा। इसी वजह से एवं बरसात में कपड़े न सूख पाने की वजह से भी कुछ वकील ड्रेस में नहीं आ पाये थे। ड्रेस कोड में रहने की व्यवस्था वकीलों के लिए ही नही बल्कि न्यायिक कर्मियों के लिए भी है,लेकिन तब भी अधिकतर कर्मी ड्रेस में नहीं आते है। इस नियम पर शख्ती वह भी विशेष परिस्थितियों के बावजूद केवल वकीलों के लिए ही अकेले क्योंं,अपने अधीनस्थों पर क्यों नहीं, यह सवाल वकील समुदाय उठाता रहा।
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शस्त्र लेकर आने का मामला चर्चा में रहा
जज साहब के माध्यम से कोर्ट परिसर में हाईकोर्ट (Highcourt) के प्रतिबंध आदेश के बावजूद शस्त्र लेकर आने का मामला भी चर्चा में रहा। उधर वकील और जज के बीच में हुए विवाद को सुलझाने के लिए जिला जज तनवीर अहमद एवं बार अयक्ष संदीप सिंह ठाकुर ने हस्तक्षेप किया तो घंटों बाद मामला सुलझ सका। बार अध्यक्ष संदीप सिंह ठाकुर ने सभी अधिवक्ताओं से ड्रेस कोड में आने की अपील की है वहीं वकील एवं जज के बीच हुए इस विवाद की अधिवक्ताओं ने घोर निंदा की। सभी ने जज और वकील को अदालतों के नियम व अपने पद की गरिमा के अनुसार कार्य व्यवहार करने की अपेक्षा जाहिर की।