खाकी हुई शर्मशार : जिनके हवाले दरख्तों की हिफाजत थी, वही जंगल के सौदागर निकले
माउंट एवरेस्ट के लिए उनका जज्बा कायम था। इस जज्बे की वजह उनके सामने पेश आ रही अड़चनें थीं। इसी जज्बे ने नैना को एशिया के दूसरे सबसे बड़े हिमाचल के बारा शिगरी ग्लेशियर की माउंट कैथेड्रल (Cathedral Mountain) की 6100 मीटर ऊंची चोटी पर पहुंचा दिया। 15 अगस्त को उतरते वक्त 4300 मीटर की ऊंचाई पर तिरंगा फहराया।दुनिया के सबसे ऊंचे लेह खारदुंगला मोटरेबल पास में फहरा चुकी हैं तिरंगा
2018 में नैना ने माउंट एवरेस्ट के लिए प्रयास किया। पैसों का इंतजाम नहीं हो पाया और वे चूक गईं। इसके बाद भी उनका जज्बा कम नहीं हुआ और नैना ने वो कर दिखाया जो अब तक पूरे छत्तीसगढ़ में किसी ने नहीं किया है। नैना 13 दिन साइकिल चलाकर मनाली से लेह खारदुंगला (khardung la) पहुंच गईं।सावधान : अब आपके खाते में सेंध लगाने के लिए हैकर्स को ना ATM कार्ड का नंबर चाहिए ना OTP
यह दुनिया का सबसे ऊंचा मोटरेबल पास यानी दर्रा है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 5602 मीटर है। यहां भी नैना ने 15 अगस्त को ही तिरंगा फहराया। इसके अलावा उन्होंने लेह लद्दाखकी सबसे ऊंची चोटी माउंट स्टॉक कांगरी 6153 मीटर और माउंट गोलेप कांगड़ी 5950 मीटर पर तिरंगा लहराया।आर्थिक मदद मिले तो पूरा हो सकता है माउंट एवरेस्ट फतह का सपना
बस्तर की बेटी पूरे राज्य का नाम रोशन कर रही है लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने कभी कोई प्रयास नहीं हुआ। अब तक नैना ने जितनी भी ट्रैकिंग की है, उसमें किसी ना किसी कंपनी ने ही उन्हें स्पांसर किया है। नैना कहती हैं कि अगर उन्हें पर्याप्त आर्थिक मदद मिल जाए तो माउंट एवरेस्ट फतह करने का उनका सपना पूरा हो सकता है। इसके साथ ही नैना 6 देशों की साइकिल यात्रा भी पूरी करना चाहती हैं। इसके लिए भी उन्हें मदद की दरकार है।