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श्री गंगानगर

व्यावसायिक प्रशिक्षकों को अब बनाया बेरोजगार

– ठेका कंपनी की मनमर्जी, दस महीनो से मानदेय को तरसे

श्री गंगानगरOct 11, 2024 / 01:17 pm

surender ojha

श्रीगंगानगर। राजस्थान के राजकीय विद्यालयों में बुनियादी शिक्षा पर अध्याय आधारित व्यावसायिक शिक्षा सत्र 2014-15 में शुरू की गई लेकिन अब यह दम तोड़ने लग गई है। प्रदेश के करीब तीन व्यावसायिक प्रशिक्षक अब बेरोजगार बन गए है। इन युवाओं ने जिला कलक्टर के माध्यम से सीएम को गुहार लगाई है। इस शिक्षा नीति को सुचारू रूप से चलाने में व्यावसायिक प्रशिक्षको की बजाय सेवा प्रदाता कंपनी को कमान दे दी गई है। इन कंपनियों की अनियमित लापरवाही की वजह से व्यावसायिक प्रशिक्षक आर्थिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे है। व्यावसायिक प्रशिक्षको का पिछले 1 साल से मानदेय न मिलने की वजह से व्यावसायिक प्रशिक्षक अपने कौशल का प्रदर्शन सुचारू रूप से नही कर पा रहे है। कलक्टर को ज्ञापन देने के दौरान लालगढ़ से नीरूबाला, श्रीगंगानगर की रीतू शर्मा, पदमपुर से श्वेता, सूरतगढ़ की पूनम, केसरीसिंहपुर के गुरप्रीत सिंह भुल्लर, मिर्जवाला से मीना, बनवाली से निशा आदि शामिल हुए। इन युवाओं ने सांसद, विधायक और जिला प्रमुख को भी अलग अलग ज्ञापन दिए है।

इस योजना में स्कूली बच्चों को दिलाना था व्यवसायिक ज्ञान

इस योजना नीति के तहत प्रत्येक विद्यालयों में दो ट्रेड है कौशल से संबधित जैसे अपारेलमेड अप होमफर्निशिंग, ब्यूटी एण्ड वैलनस, आइटी एण्ड आइटीज इलेक्ट्रॉनिक, रिटेल, वैकिंग, फूड प्रोसेसिंग, एग्रीकल्चर, इत्यादी लगभग 11 ट्रेड से अधिक कोर्सेज विद्यालयों में संचालित है। व्यावसायिक शिक्षा में कौशल का अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए औधोगिक भ्रमण, स्किल कम कंपटीशन जिला स्तर पर, कक्षा 6 से 8 तक एक्सपॉजर कैंप, ओन जॉब ट्रेनिंग और गैस्ट लैक्चर करवाए जाते है ।विद्यालय स्तर पर यह कक्षा 9 से 12 तक 4 वर्षीय पाठ्यक्रम पूर्ण करने के बाद एनएसडीसी के द्वारा कौशल सर्टिफिकेट दिया जाता है जो बच्चों के भविष्य में रोजगार उपलब्ध करानें में सहायक है। लेकिन इस शिक्षा को सुचारू रूप से चलाने के लिए कार्यरत व्यावसायिक प्रक्षिक्षक के प्रति उदासीन है।

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