भाजपा ने तो अपने मंडल स्तर के प्रभारियों से जमीनी फीडबैक भी मांगा है। इसके लिए युवा चेहरों को लाने का प्रयास किया जाएगा। वहीं पुराने भाजपाईयों ने अपने पारिवारिक और परिचितों के युवाओं को टिकट की जुगात की रणनीति तय की है। इधर, कांग्रेसियों ने भी अपने अपने समर्थकों को गांवों में जनसंपर्क करने के संकेत दे दिए है। कई कांग्रेसी तो अभी से सक्रिय हो गए है।
जिला प्रमुख का पद इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है। इस कारण दोनों दलों में पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों के साथ साथ पूर्व प्रधानों ने भी इसके साथ साथ पंचायत समिति के प्रधान की कुर्सी पाने के लिए का दौर शुरू हो चुका है। जिले के अधिकांश इलाकों में किसान आंदोलन का असर देखने को मिलेगा।
इस बार पंचायत समिति के प्रधान बनने के लिए श्रीगंगानगर, सादुलशहर और सूरतगढ में अधिक कशमकश रहेगी।
इन तीनों पंचायत समितियों में प्रधान का पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण प्रधानगी बनने के अधिक संभावित दावेदार तैयार हो गए है। कईयों ने तो अभी से दोनो दलों से संपर्क करना भी शुरू कर दिया है। वहीं विधायकों के यहां भी धोक लगाने वालों की संख्या एकाएक बढ़ी है।
इधर, रायसिंहनगर और पदमपुर की पंचायत समितियों में सामान्य महिला का पद आरक्षित किया गया है। वहीं श्रीकरणपुर में एससी महिला, अनूपगढ़ में एससी, घड़साना में ओबीसी महिला का पद आरक्षित होने के कारण संभावित दावेदारों के नाम सामने आने लगे है। य्
इस बीच, श्रीगंगानगर पंचायत समिति में इस बार प्रधान का पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। पूरे जिले में इस पंचायत समिति में सबसे ज्यादा डायरेक्टरों के पद है। यहां कुल डायरेक्टरों के पद २९ है।
वहीं अनूपगढ़ में प्रधान का पद एससी के लिए आरक्षित किया गया है। यहां कुल १५ डायरेक्टरों के पद है। इसी तरह श्रीकरणपुर में प्रधान एससी महिला के लिए आरक्षित है। यहां १५ पंचायत समिति सदस्य के पद है।
रायसिंहनगर में फिर से इस बार महिला प्रधान बनेगी। यहां सदस्यों की संख्या १९ है। पदमपुर में भी महिला प्रधान की कुर्सी पर बैठेगी। यहां १७ सदस्य है। वहीं घड़साना में ओबीसी महिला प्रधान के लिए आरक्षित है। यहां कुल सदस्य १७ है। वहीं श्रीविजयनगर में प्रधान इस बार एससी के लिए आरक्षित किया गया है। यहां १५ सदस्य है। सूरतगढ़ में इस बार सामान्य वर्ग से प्रधान बनेगा।
इस कारण यहां प्रधान का चुनाव अधिक रोचक रहने की संभावना है। यहां २३ सदस्य है। इसी प्रकार सादुलशहर में भी सामान्य वर्ग होने के कारण राजनीतिक सरर्मियां अधिक रहेगी। यहां १९ सदस्य है।
इस पंचायतराज चुनाव में किसान आंदोलन का असर रहेगा। श्रीकरणपुर, पदमपुर, अनूपगढ़, घड़साना, रायसिंहनगर, श्रीगंगानगर और सादुलशहर पंचायत समितियों में किसान संगठनेों की अधिक पकड़ है।
इस कारण ग्रामीण वोटर पर कांग्रेस अपनी दावेदारी अधिक कर रही है। वहीं भाजपा ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद किसान आंदोलन के ठंडा पडऩे के बाद अपनी जड़े फिर से जमाने का दावा किया है।
इन दोनों दलों ने अपने अपने पुराने कार्यकर्ताओं को बढ़ावा देने के संकेत दिए है। हालांकि अभी चुनाव की घोषणा नहीं हुई है। लेकिन किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर पिछले एक महीने से कई लोग सक्रिय हो चुके है। इन लोगों में कई भाजपाई है तो कई कांग्रेसी। वहीं वामपंथी विचारधारा वाले लोग भी सिंचाई पानी के मुददे से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे है।