राज्य में जल संसाधन विभाग 17.50 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र का संचालन करता है, जिसमें सिंचाई में नहरों, तालाबों और बांधों का योगदान है। राजस्व वसूली के लिए इस विभाग में सिंचाई पटवारी, जिलेदार और डिप्टी कलक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 2001 के बाद से डिप्टी कलक्टर के पदों पर पदोन्नति नहीं हुए। जबकि विभाग में अनुभवी जिलेदार काम कर रहे थे।
राज्य सरकार ने समय-समय पर नियमित डीपीसी के लिए परिपत्र जारी किए, लेकिन डीसीपी नहीं करवाई। इसका खमियाजा जिलेदार और सिंचाई पटवारियों को भुगतना पड़ा। हाल ही में राजस्थान अभियांत्रिकी अधीनस्थ सेवा (सिंचाई शाखा) नियम, 1967 के नियम 24 के तहत गठित विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक मुख्य अभियंता अमरजीत सिंह मेहरड़ा की अध्यक्षता में हुई।
इसमें नौ जिलेदारों के पदोन्नत को लेकर चर्चा हुई। इसमें सात जिलेदारों को डिप्टी कलक्टर के पद पर पदोन्नति के आदेश जारी हो गए। अब सात जिलेदार डिप्टी कलक्टर की कुर्सी पर बैठकर कार्य करेंगे। फिलहाल राज्य में जिलेदार के 31 में से 18 पद खाली हैं।
अब होगा सही एमएसपी का निर्धारण
राजस्थान के हनुमानगढ़ और
श्रीगंगानगर जिले जल संसाधन विभाग के सबसे बड़े जिले हैं, जहां नहरों से सबसे अधिक कृषि सिंचित होती है। यहां से उत्पादित फसलों की जानकारी और समर्थन मूल्य भी इन जिलों के सिंचाई पटवारियों और जिलेदारों के जिन्स डाटा पर निर्भर करती है। पदोन्नति नहीं होने से अब एमएसपी का सही निर्धारित होगा।
डिप्टी कलक्टर के दायित्व
जल संसाधन विभाग में डिप्टी कलक्टर का मुख्य कार्य बाराबंदी तैयार करना, रबी और खरीफ की खतौनी का डाटा जांचना, पानी चोरी रोकना, सिंचाई विवादों का निपटारा करना और राजस्व वसूली के लिए कैम्प लगाना शामिल है। पदोन्नति से मिलेगा लाभ
जिलेदारों की पदोन्नति का मामला लम्बे समय से अटका हुआ था। संगठन की ओर से कई बार अधिकारियों को ज्ञापन दिए गए। अब जिलेदारों के डिप्टी कलक्टर के पद पर नियुक्तियां होने से सबकों लाभ मिलेगा।
– मृगेन्द्र पाल जादौन, अध्यक्ष, राजस्थान पटवार संघ (सिंचाई), हनुमानगढ़
शीघ्र मिलेगी नियुक्तियां
विभाग में डिप्टी कलक्टर के सभी सात पद रिक्त पड़े थे। जिलेदारों की पदोन्नति करवाकर रिक्त पदों को भर दिया गया है। शीघ्र ही उन्हें नियुक्तियां दी जाएगी। इससे विभाग का कार्य ओर आसान होगा। – अमरजीत सिंह मेहरड़ा, मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग, जयपुर