किसान संगठनों के विरोध से बैकफुट पर आए भाजपाईयों ने इस चुनौती को स्वीकार कर गंगासिंह चौक पर धरना लगाया जहां अक्सर किसान संगठन महापड़ाव डालकर सीधे वोट बैंक पर असर डालते है। जिले की आठ नगर पालिकाओं में हुए चुनाव में भाजपा को चार पालिकाओं में जीत मिली लेकिन चार पालिकाओं में करारी हार का सामना करना पड़ा। यह तब है जब कांग्रेस का संगठन पिछले सवा साल से गायब है।
कांग्रेस का नेतृत्व नहीं होने के बावजूद चार पालिकाओं में कब्जा कर भाजपा को यह संकेत दिया कि पंचायराज चुनाव में भी एेसी हालत होगी। अगले महीने पंचायराज चुनाव को देखते हुए भाजपा ने फिर से फील्ड में अपना झंडा उठाने के लिए कवायद शुरू की है।
अलग अलग गुटों में बंटी भाजपाईयों को एक साथ लेना इतना आसान नहीं था। लेकिन जिलाध्यक्ष और उनकी टीम शुक्रवार को इस धरने पर एकाएक आई भीड़ गदगद हो उठी। यहां तक पूरी टीम के चेहरे पर मुस्कान आ गई लेकिन एससी मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष कैलाश मेघवाल प्रकरण ने पूरे किए कराए पर पानी फेर दिया।
मेघवाल का कुर्ता फटा तो उन्होंने राजनीतिक स्टंट किया। वे इस घटनाक्रम के बाद वापस जाने की बजाय अपने समर्थकों के साथ सभा स्थल पर अपनी जोरदार एंट्री कराई। उन्होंने मंच से अपने संबोधन में हिंसा का बदला हिंसा की बजाय अहिंसा बताते हुए संयम बरतने की बात कही।
इधर, पुलिस अधिकारियों का कहना था कि मेघवाल को किसान आंदोलनकारियों के पंडाल में जाने से रोका भी था लेकिन वे जानबूझकर गए। उधर, पी ब्लॉक में भाजपा की प्रेस वार्ता में मेघवाल ने दावा किया कि वे आरोपियों ने उनको दबोचा और मारपीट की। उन्होंने राजनीतिक स्टंट नहीं किया।