युवा किसान विनोद मोदी, सरवन मोदी, मांगीलाल, राधेश्याम, नरेश सोनी आदि ने बताया कि परियोजना की निकटवर्ती ग्राम पंचायत ठुकराणा का पशु चिकित्सा केंद्र वर्षो से बन्द पड़ा है। इसके कारण पशुओं के उपचार के लिए उन्हें सूरतगढ़ ले जाना पड़ता है।
वर्षों से सार संभाल नही होने से चिकित्सालय का भवन जर्जर होने लगा है। जगह जगह से चारदीवारी क्षतिग्रस्त हो चुकी है तथा मुख्य द्वार गायब हो चुका है। जानकारी के अनुसार अकाल राहत के तहत वर्ष 1996 में ठुकरणा गांव में पशु चिकित्सा केंद्र की स्थापना हुई थी। इस चिकित्सालय में कभी चाड़सर, रत्तासर, गुंसाईसर, फरीदसर, चक दो व चार एसएमआर आदि गांवों के पशुओं का उपचार किया जाता था। स्थापना के कुछ समय बाद नियुक्त पशु चिकित्सक का तबादला होने के बाद करीब डेढ दशक तक ये चिकित्सालय वीरान रहा।
इसके बाद वर्ष 2012 में ग्रामीणों और तत्कालीन सरपंच के प्रयासों से पशु चिकित्सक की नियुक्ति कर भवन की मरम्मत करवाई गई थी, लेकिन एक बार फिर से पिछले कुछ महीनों से चिकित्सक नही होने से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सोमासर के ग्रामीण प्रेम सहारण ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से मवेशियों के पिछले पैरों में जकडऩ की बीमारी हो रही है। चिकित्सालय बंद होने से पशुओं को समय पर चिकित्सा नही मिलती है। इससे वे काल का ग्रास बन रहे है।