शिमला मिर्च 100 रुपए, हरे छोले 200 रुपए, कमल ककड़ी 100 रुपए, नए आलू 40 रुपए किलो, गोभी 60 रुपए किलो बिक रहे हैं। गृहिणी किरण ने कहा लहसुन का इस्तेमाल सब्जियों और दाल में स्वाद बढ़ाने के लिए होता है, लेकिन अब इसे खरीदना भी मुश्किल हो गया है।
श्री गंगानगर के सब्जी विक्रेता जॉनी अगावड़ी ने कहा कि नई फसल आने के बाद ही राहत मिलने के आसार हैं। भारतीय किसान संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष जसवंत सिंह चंदी ने बताया कि स्थानीय किसान बहुत कम क्षेत्र में लहसुन की खेती करते हैं।
उन्होंने कहा कि अभी लहसुन की बिजाई का समय चल रहा है। बाजार में जो लहसुन बिक रहा है, किसान उसे ही बीज के रूप में काम लेता है, लेकिन जब सार संभाल कर खर्च वहन कर किसान उसे बाजार में बेचने जाता है तो उसे पर्याप्त भाव नहीं मिलते हैं। अब भी बाजार में लहसुन किसी किसान के पास से नहीं बल्कि व्यापारियों के स्टॉक से ही आ रहा है। यही कारण है कि यहां के किसान अपने उपयोग में आने लायक थोड़ी जगह में लहसुन की खेती करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को जमाखोरी रोकने जैसे कदम उठाने चाहिए, जिससे किसानों को बिजाई के लिए उचित दाम पर लहसुन मिल सके।