जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर अरावली की पहाड़ियों के मध्य यह बांध हुआ करता था। बारिश के दौरान इसमें पानी की आवक होती थी, लेकिन अब बांध के पेटे की अधिकांश जमीन पर प्लाॅटिंग और मकान बन चुके हैं। बड़ी-बड़ी चारदीवारी हो चुकी है। अरावली की पहाडियों में मूसलाधार बारिश होने पर इस बांध में पानी की आवक होती थी। लेकिन अतिक्रमणों की वजह से बांध का पेटा सूख गया और इस पर अतिक्रमण होते चले गए।
131 हेक्टेयर था बांध का एरिया…..अब सिमट गया
कटीघाटी पर बना रत्नागर बांध 131 हेक्टेयर यानि लगभग 546 बीघा में फैला हुआ था। अब बांध के पेटे की जमीन केवल 20 से 30 हेक्टेयर ही शेष रह गई है। अधिकांश जमीन पर प्लाॅटिंग और मकान बन चुके है। बांध में अलवर के महाराजाओं की ओर से नौकायन करवाई जाती थी। बांध से पानी नहर के माध्यम से उद्यान विभाग कार्यालय तक पहुंचता था, लेकिन अब नहर जगह-जगह से टूट गई है। -
इन अतिक्रमियों के भी नाम
विधानसभा में बांध के बहाव क्षेत्र में किए गए अतिक्रमणों की पूरी सूची दी गई है। जिसमें बाकायदा खसरा नं. के आधार पर अतिक्रमण बताए गए हैं। इसमें मकान, बाउंड्रीवॉल के साथ-साथ कई तरह के निर्माण शामिल हैं।