नाव नहीं मिलने से करीब दो सौ बच्चे पढ़ाई से वंचित व चिंतित हो रहे हैं। नया सत्र शुरू होने के साथ ही छात्र छात्राएं स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। कस्बे में पहुंचने के लिए नाव से सौ फीट लबी नदी को पार करना पड़ता हैं, लेकिन नाव व पुलिया न होने की स्थिति में दूसरा रास्ता अपनाने पर करीब 15 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता हैं। ऐसे में बच्चे चाहकर भी विद्यालय नहीं पहुंच पा रहे हैं।
स्कूल पहुंचने में बाधक बनी नदी को पार करने के लिए चार प्लास्टिक ड्रम को आपस में जोड़कर उसके ऊपर बांस की लकड़ियों से बनी जाली डालकर जुगाड़ तैयार किया गया है। इसी जुगाड़ पर मंडराते खतरे के बीच पढ़ाई के लिए चिंतित हो रहे बच्चे नदीपार विद्यालय जाने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं एक फेरे में जुगाड़ पर करीब आठ दस बच्चे बैठकर आवागमन कर रहे हैं। ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
घोड़ापछाड़ नदी के नावघाट पर 1.26 करोड़ की लागत से झूला पुल का निर्माण कार्य चल रहा हैं। लोगों को उमीद थी कि बारिश के मौसम से पहले झूला पुल तैयार हो जाएगा, जिससे वर्षो से चली आ रही नदी में नाव से आवागमन की समस्या खत्म हो जाएगी, लेकिन ढाई माह से उसका कार्य बंद पड़ा है। ऐसे में नाव डूबने व पुल तैयार नहीं होने से लोगो का आवागमन बंद हो गया है।
भारती शर्मा, सरपंच, ग्राम पंचायत बरुन्धन मामला गंभीर एवं बच्चों की पढ़ाई से जुड़ा होने पर भी जिमेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। पुलिया को जल्दी तैयार करवाना चाहिए। जब तक आवागमन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए।
रामप्रसाद राठौर, सेवानिवृत सैनिक
रणजीत मीणा, कार्यवाहक प्रधानाचार्य,राउमावि, बरुन्धन
अशोक डोगरा, पूर्व विधायक, बूंदी