जिले के सोजपुर में भाई-दूज के पर्व पर रविवार सुबह ग्रामीणों ने घासभैरू की सवारी निकाली। घासभैरू को रस्सियों से बांध कर आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टरों से खींचा गया और पूरे गांव में घुमाया गया। दीपावली के बाद भाईदूज पर घासभैरूजी की सवारी निकालने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। इससे पहले घास भैरूजी की पूजा अर्चना कर धार चढ़ाई। इसके बाद मुख्य मार्गो से होते हुए गांव के चारों ओर ट्रैक्टरों से परिक्रमा कर घासभैरूजी की सवारी निकाली गई। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए और जमकर आतिशबाजी की गई। घासभैरू व माताजी के जयकारे गूंजते रहे। माताजी के घोड़ले हाथों में खप्पर थामे साथ चल रहे थे। ग्रामीणों की मान्यता है की घासभैरूजी की सवारी निकालने से गांव में बीमारियों से बचाव होता है। सवारी में ग्रामीण घासभैरू की जगह-जगह पूजा अर्चना करते नजर आए।
आवर में निकली शाही सवारी आवर. कस्बे में रविवार को भाई दूज के अवसर पर घास भैरू महाराज की शाही सवारी निकाली गई। कस्बे सहित क्षेत्र में सुख शान्ति, आरोग्य और समृद्धि की कामना को लेकर यहां हर साल भाई दूज के अवसर पर घास भैरू महाराज की सवारी निकाली जाती है। जिसे प्रतिवर्ष कस्बे के चारों कोनो में स्थित एक निश्चित स्थानों पर प्रतिस्थापित किया जाता है। घास भैरू की प्रतिमा का जलाभिषेक कर तेल सिंदूर लगाकर श्रंगार किया गया। इसके बाद भोग लगाकर ट्रैक्टर से खींचा गया। शाही सवारी दोपहर बाद कस्बे के हाट चौक से शुरू होकर नगर परिक्रमा करते हुए शाम को लाल बाई चौक पर पहुंची जहां घास भैरू महाराज को प्रतिस्थापित किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने भोग लगाकर सुख समृद्धि की कामना की।
झालावाड़. शहर में रविवार को घास भैरू की सवारी निकाली गई। जो संजय कॉलोनी गांव घेर से नया तालाब, फोरेस्ट रोड, मामा भांजा चौराहा, मूर्ति चौराहा, मंगलपुरा, मोटर गैराज,धोंकड़े के बालाजी, चौथमाता मंदिर, चंदा महाराज की पुलिया होते हुए संजय कॉलोनी पहुंची। रास्ते में जगह-जगह लोगों ने घास भैरूजी की पूजा की। इस मौके पर छीतरलाल, घनश्याम, धनराज, अमरलाल, रामलाल सहित कई लोग मौजूद रहे।
जिले के सोजपुर में भाई-दूज के पर्व पर रविवार सुबह ग्रामीणों ने घासभैरू की सवारी निकाली। घासभैरू को रस्सियों से बांध कर आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टरों से खींचा गया और पूरे गांव में घुमाया गया। दीपावली के बाद भाईदूज पर घासभैरूजी की सवारी निकालने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। इससे पहले घास भैरूजी की पूजा अर्चना कर धार चढ़ाई। इसके बाद मुख्य मार्गो से होते हुए गांव के चारों ओर ट्रैक्टरों से परिक्रमा कर घासभैरूजी की सवारी निकाली गई। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए और जमकर आतिशबाजी की गई। घासभैरू व माताजी के जयकारे गूंजते रहे। माताजी के घोड़ले हाथों में खप्पर थामे साथ चल रहे थे। ग्रामीणों की मान्यता है की घासभैरूजी की सवारी निकालने से गांव में बीमारियों से बचाव होता है। सवारी में ग्रामीण घासभैरू की जगह-जगह पूजा अर्चना करते नजर आए।
आवर में निकली शाही सवारी
- आवर. कस्बे में रविवार को भाई दूज के अवसर पर घास भैरू महाराज की शाही सवारी निकाली गई। कस्बे सहित क्षेत्र में सुख शान्ति, आरोग्य और समृद्धि की कामना को लेकर यहां हर साल भाई दूज के अवसर पर घास भैरू महाराज की सवारी निकाली जाती है। जिसे प्रतिवर्ष कस्बे के चारों कोनो में स्थित एक निश्चित स्थानों पर प्रतिस्थापित किया जाता है। घास भैरू की प्रतिमा का जलाभिषेक कर तेल सिंदूर लगाकर श्रंगार किया गया। इसके बाद भोग लगाकर ट्रैक्टर से खींचा गया। शाही सवारी दोपहर बाद कस्बे के हाट चौक से शुरू होकर नगर परिक्रमा करते हुए शाम को लाल बाई चौक पर पहुंची जहां घास भैरू महाराज को प्रतिस्थापित किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने भोग लगाकर सुख समृद्धि की कामना की।