scriptबल्ले-बल्ले! उद्योग और वाणिज्य विभाग ने दे दी बड़ी खुशखबरी, अब कोटा के इस कारोबार को लगेंगे पंख, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी पहचान | Great news! The Department of Industry and Commerce has given a great news, now this business of Kota will get wings, will get international recognition | Patrika News
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बल्ले-बल्ले! उद्योग और वाणिज्य विभाग ने दे दी बड़ी खुशखबरी, अब कोटा के इस कारोबार को लगेंगे पंख, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी पहचान

Good News For Kota: देश में राजकीय उपक्रमों समेत सरकारी कार्यालयों में कोटा स्टोन का उपयोग करने का प्रावधान कर रखा है। निजी प्रतिष्ठानों और घरों में भी कोटा स्टोन का उपयोग किया जाता है।

कोटाDec 03, 2024 / 02:02 pm

Akshita Deora

रणजीतसिंह सोलंकी
कोटा डोरिया साड़ी के बाद अब कोटा स्टोन पर जीआई टैग यानी जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर का ठप्पा लगने वाला है। इसके बाद कोटा स्टोन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान मिलेगी। इससे पत्थर उद्योग का कारोबार और बढ़ने की संभावना है। भारत सरकार ने भी कोटा स्टोन को क्षेत्रीय उत्पाद मानते हुए जीआई के लिए आवेदन स्वीकार कर लिया है। उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने कोटा स्टोन को जीआई टैग के लिए पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेड मार्क्स महानियंत्रक (सीजीपीडीटीएम ) को आवेदन किया था। आवेदन को स्वीकार कर पेटेंट की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

30 लाख मीट्रिक टन उत्पादन

कोटा स्टोन (लाइम स्टोन) कोटा और झालावाड़ जिले में ही पाया जाता है। दोनों जिलों का लाइम स्टोन प्रमुख खनिज पदार्थ है। कोटा जिले में कोटा स्टोन का सालाना उत्पादन 30 लाख 26 हजार 481 मीट्रिक टन तथा झालावाड़ जिले में 15 लाख 63 हजार 424 मीट्रिक टन का उतपादन होता है। कोटा जिले में रामगंजमंडी, चेचट, कुदायला, जुल्मी, सातलखेड़ी, मोड़क आदि क्षेत्र में प्रमुखता से पाया जाता है। कोटा स्टोन की करीब 700 स्पलिटिंग इकाइयां संचालित हैं।
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  • * 2000 करोड़ रुपए का सालाना टर्नओवर
  • * 50000 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।
  • * 70 से अधिक खनन पट्टेधारक कोटा जिले में
  • * 100 से अधिक खनन पट्टेधारक झालावाड़ जिले मे
  • * 2000 प्रोसेसिंग यूनिट कोटा और झालावाड़ जिले में मौजूद

सालाना 300 करोड़ का निर्यात


कोटा स्टोन की डिमांड देश में ही नहीं विदेशों में भी खासी रहती है। देश में राजकीय उपक्रमों समेत सरकारी कार्यालयों में कोटा स्टोन का उपयोग करने का प्रावधान कर रखा है। निजी प्रतिष्ठानों और घरों में भी कोटा स्टोन का उपयोग किया जाता है। कोटा से सालाना करीब 300 करोड़ का कोटा स्टोन निर्यात होता है।
कोटा स्टोन को जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में चल रही है। उम्मीद है कि जल्द कोटा स्टोन को जीआई टैग मिल जाएगा। इससे कोटा स्टोन उद्योग को सम्बल मिलेगा और कारोबार भी बढ़ेगा।
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हरिमोहन शर्मा, महाप्रबंधक उद्योग एवं वाणिज्य विभाग कोटा

क्या है जीआई टैग

किसी भी रीजन का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है जिसे जीआई टैग यानी जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर कहते हैं।

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