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सोनभद्र

घरेलू हिंसा का शिकार महिलाओं को आजाद करा रही ग्रीन आर्मी

कुश्यिार, मिर्जापुर, सोनभद्र सहित 290 गांवों में ये महिलाएं हरी साड़ी पहन घूंघट में घरेलू हिंसा का शिकार महिलाओं को आजाद करवा रही है। ये महिलाएं आस-पास के कारखानों में काम कर परिवार की आर्थिक सहायता कर रही हैं।

सोनभद्रDec 03, 2023 / 08:10 pm

Shipra Gupta

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महिलाओं पर होने वाले उत्पीडन, यौन और घरेलू हिंसा को रोकने के लिए दुनिया में तमाम आवाजे उठी हैं। लेकिन उसके बावजूद भी महिलाओं पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे। ऐसे में उत्तरप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में ग्रीन आर्मी नामक संगठन महिलाओं पर हो रहे उत्पीडऩ के खिलाफ आवाज उठा रही है।
पुरूष शराब पीकर महिलाओं के साथ हिंसा करते हैं, इसलिए ग्रीन आर्मी इस समस्या की जड़ शराब के ठेके और जुआ के अड्डों को बंद करवा रही हैं।
क्या है ग्रीन आर्मी
ग्रीन आर्मी महिलाओं का एक संगठन है, जो महिलाओं से दुर्व्यवहार करने वाले पुरुषों से सुरक्षा प्रदान करा रही है। 2014 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रों ने मिलकर बनारस के कुशियार गांव में 25 महिलाओं की टीम बनाकर ग्रीन आर्मी की शुरूआत की। इसमें ज्यादातर दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ी जाति की महिलाएं शामिल है। जिसका उद्देश्य समाज के पिछड़े वर्गों की महिलाओं को घरों से बाहर लाने और उत्पीडऩ, यौन व घरेलू हिंसा के खिलाफ खड़े होने के लिए सशक्त बनाना है। ये महिलाएं हाथों में लाठिया, हरी साड़ी पहने और घूंघट में घूमती है। ये महिलाएं न केवल घरेलू हिंसा को रोकती है बल्कि दहेज प्रथा, अंधविश्वासी रीति-रिवाजों और शराब व जुआ के खिलाफ भी लड़ती है। इसी के साथ बालिकाओं को शिक्षित करने की दिशा में भी काम करती है। उनका काम न सिर्फ पुरुषों का व्यक्तित्व निखारना है बल्कि उनके गांवों की स्थिति भी सुधारना है। इस आर्मी का कार्य देखकर आस-पास की कई ग्राम पंचायतों भी इन्हें आमंत्रित कर रही हैं।
ग्रीन आर्मी को मिला पुलिस का सपोर्ट
स्थानीय पुलिस प्रशासन भी इन महिलाओं का सपोर्ट करती हैं। उन्होंने इन महिलाओं को पुलिस ‘पुलिस मित्र (मित्र) आईडी कार्ड’ दिए हैं। ग्रीन आर्मी स्थानीय अधिकारियों के अनुपालन में कार्य करती हैं। जरूरत पडऩे पर पुलिस की मदद लेती हैं। पुलिस इन महिलाओं की मदद से कई गांवों में महिलाओं और बुजुर्ग के खिलाफ होने वाले अत्याचार रोकने में सफल हुई हैं। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान ग्रीन आर्मी ने महिलाओं को मतदान के लिए जागरूक किया था, जिसका बहुत असर पड़ा। इलेक्शन ऑप इंडिया ने महिलाओं की सरहाना करते हुए सम्मान किया ।
6 महीने में बंद करवा देती हैं जुआ और शराब
एक निजी संस्था शुरूआत में महिलाओं की काउंसलिंग की जाती है। उसके बाद उन्हें व्यक्तित्व विकास और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाता है। ढ़ाई महीने बाद ये महिलाएं हरी साड़ी पहनकर पूरे गांव का भ्रमण करती और जहां शराब पीकर जुआ खेलते वहां वो जाकर खड़ी हो जाती। इस टीम का कोई सामना नहीं कर पाता है। अहिंसा इनका प्राथमिक उद्देश्य है।
पुरुषों को परामर्श देने और जब चीजें नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, तभी ये लाठियां हथियार बनकर सामने आती हैं। छह महीने में ये अपने गांव में शराब और जुआ बंद करवा देती है। इससे गांवों में घरेलू हिंसा कम हो गई है।
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शराब और जुआ बंद करवाने से यह हुए लाभ
– पुरूषों का स्वास्थ्य सुधरा
-महिलाओं पर हो रहे अत्याचार रूके
– महिलाएं घर की आर्थिक रूप से सहयोग दे रही
– बुजुर्गों की देखरेख अच्छे से होने लगी
– बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहने लगा
– बच्चे स्कूल जाने लगे
– गांवों में खुशनूमा माहौल रहने लगा
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