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जनपद मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर स्थित बिसवां तहसील में महान सूफी संत हजरत गुलजार शाह की मजार, हिन्दू-मुस्लिम एकता का जीता-जागता नमूना है। चुनाव के दौरान यहां राजनेताओं का जमावड़ा लगा रहता है। सभी राजनीतिक दलों के नेता हजरत गुलजार शाह मैदान पर अपनी चुनावी जनसभा कराने को आतुर रहते हैं। चुनावी जनसभाओं से पहले नेतागण भाषण से पहले दरगाह में जाकर मजार पर फूल की चादर पेश करते हैं। जियारत के लिए यहां पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी, स्व. राजीव गांधी, डॉ. देवकांत बरुआ, पूर्व प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, पूर्व राज्यपाल मोहम्मद उस्मान आरिफ, राजेश कुमारी बाजपेयी, हेमवती नंदन बहुगुणा, राज्यपाल उत्तर प्रदेश सत्यनारायण रेड्डी, मुलायम सिंह यादव और पहलवान दारा सिंह भी इस दरगाह पर अपना शीश झुका चुके हैं।
…तो इसलिए पूरी दुनिया में खास है अपना लखनऊ और यहां की तहजीब
देखें वीडियो… शैखुल हजरत गुलजार शाह रहमतुल्लाह अलैह, जिन्हें लोग टक्करी बाबा के नाम से भी जानते हैं। गुलजार शाह का जन्म सैदनपुर जिला बाराबंकी में 1870 में हुआ था। बचपन से ही उन्हें हर चीज में केवल खुदा का ही नूर दिखाई देता था। रास्ते में चलते समय वह लोगों को टक्कर मारते हुए चलते थे, जिसके चलते उनका नाम टक्करी बाबा पड़ गया था। 1945 में पवित्र रमजान मास के पहले ही दिन उनका इंतकाल हो गया था। मजार के लिए यदुवंशी राजाओं ने मजार के लिए जमीन दान में दी थी।
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ऐसे पहुंचें बिसवां
हजरत गुलजार शाह बाबा के दर्शन को अगर आप भी आतुर हैं तो यह राजधानी लखनऊ से मात्र 55 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए यातायात के साधन सीमित हैं। इसलिए प्राइवेट साधन से इस स्थान पर आना बेहतर होगा। हालांकि, उत्तर प्रदेश की परिवहन की बसें भी करीब घंटे भर के अंतराल में यहां के लिए जाती हैं। इसके अलावा लखनऊ से ट्रेन के जरिये भी बिसवां पहुंचा जा सकता है।