scriptSitapur: नजूल की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर सख्त हुआ प्रशासन, घंटे भर में जमीदोंज हुआ मैरेज लॉन और फैक्ट्री   | Sitapur: Administration became strict regarding encroachment on Nazul land, marriage lawn and factory demolished within an hour | Patrika News
सीतापुर

Sitapur: नजूल की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर सख्त हुआ प्रशासन, घंटे भर में जमीदोंज हुआ मैरेज लॉन और फैक्ट्री  

Sitapur: नजूल की जमीन पर अतिक्रमण पर प्रशासन की कार्रवाई फिर से तेज हुई है। सीतापुर में नजूल के जमीन पर बने मैरेज लॉन और फैक्ट्री पर जिला प्रशासन का बुलडोजर चला है। आइये बताते हैं क्या है पूरा मामला 

सीतापुरOct 22, 2024 / 09:06 pm

Nishant Kumar

Sitapur

SDM Sitapur on Bulldozer action

Sitapur: नजूल की जमीन को लेकर अक्सर प्रशासन और अतिक्रमणकारियों के बीच खींचातानी लगी रहती है। सीतापुर में नजूल के जमीन पर बने मैरेज लॉन और फैक्ट्री को प्रशासन ने गिरा दिया है। प्रशासन की कार्रवाई के दौरान अतिक्रमणकारी मौके पर से नदारद थे। बुलडोजर से चाँद घंटों में ही अतिक्रमण जमीदोंज हो गया। 

एसडीएम के क्या कहा ?

सीतापुर सदर एसडीएम ने बताया कि नगर परिषद खैराबाद के अंतर्गत ये नजूल की भूमि थी। इस जमीन पर अतिक्रमण था। दो बार नोटिस भी दी जा चुकी थी लेकिन अतिक्रमणकर्ताओं द्वारा हटाया नहीं गया। आज लगभग तीस हजार स्क्वायर फ़ीट जमीन जिसकी अनुमानित कीमत 9 करोड़ रुपये है उसे आज अतिक्रमण मुक्त कराया गया। 

पुलिस की मौजूदगी में हुई कार्रवाई 

राजस्व विभाग की टीम ने जिला प्रशासन और पुलिस बल की मौजूदगी में ये कार्रवाई की है। तहसीलदार सदर और लेखपालों के साथ सीओ सिटी ने मिलकर यह अभियान चलाया। अतिक्रमणकारियों को दो बार नोटिस दिया जा चूका था जिसके बाद भी वो जमीन खाली नहीं कर रहे थे। अंत में प्रशासन को कठोर कदम उठाना पड़ा। 
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क्या होती है नजूल की जमीन ?

ब्रिटिश शासन के दौरान, ब्रिटिशों का विरोध करने वाले राजा-रजवाड़े अक्सर उनके खिलाफ विद्रोह करते थे, जिसके कारण उनके और ब्रिटिश सेना के बीच कई लड़ाइयां हुईं। युद्ध में इन राजाओं को हारने पर अंग्रेज़ उनसे उनकी जमीन छीन लेते थे। भारत को आज़ादी मिलने के बाद अंग्रेज़ों ने इन ज़मीनों को खाली कर दिया। लेकिन राजाओं और राजघरानों के पास अक्सर पूर्व स्वामित्व साबित करने के लिये उचित दस्तावेज़ों की कमी होती थी। इन ज़मीनों को नज़ूल भूमि के रूप में चिह्नित किया गया था। इसका स्वामित्व संबंधित राज्य सरकारों के पास था। 

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