scriptमाउंट आबू के कई ऐतिहासिक स्थल लुप्त होने की कगार पर, कहीं किताबों के पन्नों में ना सिमट जाए बेशकीमती धरोहर | Many historical and religious places of Mount Abu lest the priceless heritage gets confined to the pages of books | Patrika News
सिरोही

माउंट आबू के कई ऐतिहासिक स्थल लुप्त होने की कगार पर, कहीं किताबों के पन्नों में ना सिमट जाए बेशकीमती धरोहर

Rajasthan News : पर्यटन स्थल माउंट आबू की ऐतिहासिक धरोहर अपनी जर्जर अवस्था में पहुंचकर संरक्षण की बाट जोह रही हैं। ऋषि-मुनियों की तपोभूमि व रियासतकालीन राजा-महाराजाओं की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही माउंट आबू की बेशकीमती कई ऐतिहासिक धरोहर तो लुप्त होने के कगार पर है।

सिरोहीJul 05, 2024 / 06:18 pm

Omprakash Dhaka

Many historical and religious places of Mount Abu
Sirohi News : पर्यटन स्थल माउंट आबू की ऐतिहासिक धरोहर अपनी जर्जर अवस्था में पहुंचकर संरक्षण की बाट जोह रही हैं। ऋषि-मुनियों की तपोभूमि व रियासतकालीन राजा-महाराजाओं की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही माउंट आबू की बेशकीमती कई ऐतिहासिक धरोहर तो लुप्त होने के कगार पर है, यदि इनका संरक्षण नहीं किया तो किताबों के पन्नों में सिमट कर रह जाएगी।
Mount Abu
जानकारी के मुताबिक ब्रिटिश काल में आला अफसर इसी पर्वतीय पर्यटन स्थल पर डेरा डाले रहते थे। गर्मियों में राजभवन में राज्यपाल अपने लवाजमे के साथ करीब महीने भर तक रहते हैं। समय रहते यहां की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण, रखरखाव की कार्ययोजना पर कोई ध्यान नहीं दिया गया तो यह बेशकीमती खजाना लुप्त होने के साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए गौरवशाली इतिहास सिर्फ किताबों में पढ़ने तक ही सीमित रह जाएगा।

खंडहरों में तब्दील हो रही धरोहर

रियासतकालीन राजा-महाराजाओं की धरोहर समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतें आज भी उस समय की समृद्धि को बयां करती हैं। ऐतिहासिक धरोहर वक्त के थपेड़ों को झेलते-झेलते दुर्दशा का शिकार बन गई हैं ओर संरक्षण के अभाव में खंडहर में तब्दील होती जा रही है।
Mount Abu

कुशल कारीगरों ने फूंकी हैं जान

यहां अधिकतर इमारतें तत्कालीन राजाओं ने अपनी रियासतों के नाम पर बनाईं। सिरोही कोठी, होली-डे होम, सर्वे ऑफ इंडिया कार्यालय समेत ऐतिहासिक इमारतें अस्तित्व में हैं, जो तत्कालीन स्थापत्य कला के अदभुत नमूनों को अपने आंचल में समेटे हुए हैं। जिनमें कुशल कारीगरों ने जान फूंकी हुई हैं। इस विरासत का सामरिक महत्व आज भले ही न रह गया हो, लेकिन इतिहास, कला, संस्कृति, स्थापत्य की दृष्टि से आज भी यह बेशकीमती हैं।

धरोहर का संरक्षण हो तो बढ़ें पर्यटन

किसी जमाने में शौर्य, बलिदान व जौहर के प्रतीक रहे ऐतिहासिक अचलगढ़ दुर्ग, प्रवेश द्वार के भी दयनीय हालत में अवशेष रह गए हैं। इतिहासकारों के मुताबिक अचलगढ़ दुर्ग का निर्माण संवत 900 के लगभग आबू के तत्कालीन शासक परमार वंशजों ने करवाया था। गणेश व हनुमान पोल नाम से दुर्ग के दो प्रमुख प्रवेश द्वार हैं। रखरखाव के अभाव में इसकी हालत जर्जर हो गई है। इसके संरक्षण से पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ माउंट आबू का गौरव बढ़ेगा। वर्तमान में यहां जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, पालनपुर, लिंबड़ी, भरतपुर व सिरोही रियासतों समेत दर्जनों कोठियों में हेरिटेज होटल, अलवर कोठी में शिक्षण संस्था संचालित किए जा रहे हैं।
Mount Abu

शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है देलवाड़ा मंदिर

करीब हजार वर्ष पूर्व निर्मित अद्भुत शिल्प कलाओं का बेजोड़ नमूना देलवाड़ा जैन मंदिर दर्शकों के मानस पटल पर एक अलग ही छाप छोड़ता है। जानकारों के अनुसार सन 1039 ई. में 1500 शिल्पियों, 1200 श्रमिकों के 14 वर्ष के अथक प्रयास से 18 करोड़ 53 लाख रुपए की लागत से मंदिर का निर्माण किया था। शिल्प सौंदर्य की सूक्ष्मता, अलंकरण की विशिष्टता, गुंबदों की छतों पर स्फटिक बिंदुओं की भांति झूमते कलात्मक पिण्ड, शिलापट्टों पर उत्कीर्ण विभिन्न पशु, पक्षियों, वृक्षों, लताओं, पुष्पों आदि के चित्र आश्चर्यचकित करने वाले हैं।

आस्था स्थलों को भी है संरक्षण की दरकार

भगवान श्रीराम, लक्ष्मण के गुरु मुनि वशिष्ठ की तपस्थली, पाठशाला गौमुख वशिष्ठ आश्रम भी संरक्षण की बाट जोह रहे हैं। इस पुरातन आश्रम को जाने के मार्ग को सुगम बनाने के लिए 1589 ईस्वी में दुर्गम पहाड़ों को काटकर 2505 सीढ़ियां बनाई गई, उसी दौरान आश्रम के समीप जल स्रोत पर ऋषि की गौ कामधेनु की पुत्री नंदिनी की याद में गौमुख बनाया। जिससे इसका नाम गौमुख वशिष्ठ आश्रम पड़ा। वर्तमान में आश्रम की जर्जर स्थिति बनी हुई है। जिसके संरक्षण की नितांत आवश्यकता है। गुरु शिखर, दत्तात्रेय मंदिर, अधर देवी, रघुनाथ मंदिर, ओम शांति भवन, अग्नेश्वर महादेव, सदका माता, मंदाकिनी कुंड, भृगु आश्रम, भतृहरि की गुफा, मंदाकिनी सरोवर, श्रावण-भादो कुंड, राजा गोपीचंद गुफा, वनवासी हनुमान मंदिर, गौतम ऋषि समेत कई दर्शनीय पौराणिक व धार्मिक महत्व के स्थल हैं। जिनको संरक्षण की दरकार हैं।

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