मंत्री कुशवाहा ने कहा है कि बड़ी मंडियों के पास 5000 मीट्रिक टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज के साथ-साथ अब विकास खंड स्तर पर छोटी मंडियों के पास एक हजार मीट्रिक टन क्षमता और किसानों के खेतों पर कृषक उत्पादक समूह के दृष्टिगत 30 मीट्रिक टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएंगे। मंत्रालय में आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक में मंत्री ने यह ऐलान किया।
राज्य मंत्री ने बताया कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश अंतर्गत उद्यानिकी विभाग के रोड मैप में कोल्ड स्टोरेजों के विकेंद्रीकरण की योजना को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि साग-सब्जी और फल-फूल उत्पादक किसानों को उनके उत्पादों का सही-सही मूल्य मिले, इसके लिए जरूरी है कि वह अपनी मर्जी के मुताबिक जहां पर, जिस मंडी में और जिस समय अपने उत्पाद को अधिक मूल्य पर बेचना उचित समझें, तब बेच सके और तब तक रखने के लिए उनके पास कोल्ड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध हो। इसको ध्यान में रखते हुए केवल 5000 हजार मीट्रिक टन क्षमता के ही नहीं, बल्कि विकास खंड स्तर पर 1000 मीट्रिक टन क्षमता वाले तथा कृषक उत्पादक समूहों के दृष्टिगत किसान के खेत स्तर पर 30 मीट्रिक टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज बनाये जाने की व्यवस्था का निर्णय लिया गया है। इससे किसानों, खासकर छोटी जोत के उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में लगे किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा। कोल्ड स्टोरेज की सुविधा से किसानों को उनकी फसल को बेचने के लिए उपयुक्त अवसर मिलेगा और वह जिस मंडी में और जब बेचना चाहेंगे उन्हें उस मंडी में अपनी उपज बेचने की सुविधा उपलब्ध होगी।