गांव के बाहर मीटिंग करते हैं, ताकि परिजनों को पता नहीं लगे
भूपेश शर्मा ने बताया कि युवक का शव यहां लाने और मुआवजे के लिए लोग गांव के बाहर ही मीटिंग करते हैं, ताकि उसके परिजन को इस बात का पता नहीं लगे। उन्होंने नवीन के दोस्त मनोज को फोन कर किसी को हादसे के बारे नहीं बताने की बात कही। वे कंपनी से नवीन के दस्तावेज बनवाने में लग गए। उन्होंने सभी जगह पर मेल कर जल्द से जल्द शव को भारत लाने की मुहिम शुरू की है।
कर्जा लेकर गया था कुवैत
बजरंगलाल शर्मा के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। नवीन डीडवाना के एजेंट के जरिए कुवैत गया था। कुवैत जाने के लिए रुपए भी उधार लिए थे। ग्रामीण सांसद सुमेधानंद सरस्वती से भी मिल चुके हैं। अभी तक शव को भारत लाने के लिए कोई रास्ता नहीं निकल सका है। कंपनी की ओर से एनओसी मिल चुकी है। नॉन इफेक्टिव बॉडी इन कोविड का सर्टिफिकेट भी मिल चुका है।
परिजनों को कहा-नवीन क्वॉरंटाइन है…
नवीन रोजाना घर पर तीन बार वीडियो कॉल पर बात करता था। हादसे के दिन 19 अप्रैल को सुबह करीब सवा दस बजे उसने बात की थी। उसके पिता बजरंगलाल शर्मा ने कई बार फोन किए, लेकिन उसका मोबाइल स्विच ऑफ है। नवीन के दोस्त मनोज को भी कई बार फोन किया। मनोज ने भी फोन नहीं उठाया। फिर ग्रामीणों के कहने पर नवीन को कंपनी की ओर से क्वॉरंटाइन में रखने की बात कही।