राज्यपाल के अभिभाषण पर रिप्लाई के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा पर जो तंज कसे थे। इस बात को लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ व कांग्रेस पद्रेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा एक बार फिर सोशल मीडिया पर आमने-सामने हो गए। आरएएस भर्ती में सलेक्शन को लेकर राठौड़ ने डोटासरा पर तंज कसे तो डोटासरा ने भी टोल, बजरी को लेकर राठौड़ पर खूब तंज कसे।
तू इधर-उधर की न बात कर बस ये बता कि बेरोजगारों के भरोसे के काफिले क्यूं लुटे, जो रहबर थे वे राहजन क्यों बने। हिफाजत ऐसी न हो कि हफीज ग़ायब हो जाए, दवा ऐसी न हो कि मरीज ही ग़ायब हो जाए। लोकतंत्र की इस जंग में जीत चाहे हमारी हो या तुम्हारी, पर लफ्ज ऐसे न हों कि तमीज ग़ायब हो जाए । बहरहाल अब आपकी ‘विशेषज्ञता’ परवान चढ़ने लगी है। मानसिकता और भाषा की निम्नता साफ दिखने लगी है । यानि सभ्यता के लिए खतरे की घंटी बजने लगी है। जय श्री राम।
यूं चला आरोप- प्रत्यारोप का सिलसिला
‘इतना भी गुमान ना कर अपनी जीत पर ऐ बेखबर, शहर में तेरी जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं। सीकर वाले नेताजी, इतना भी अहंकार ठीक नहीं है। हार और जीत एक सिक्के के दो पहलू है। अभी एक परीक्षा और बाकी है। युवा आज भी पूछ रहे हैं – एक ही परिवार से 4-4 आरएएस बनना संयोग था या प्रयोग ?
डोटासरा का पहला ट्वीट ‘ गलतफहमी ना पाल, ये जनता का पर्चा है,तेरे सिर्फ़ टोल, बजरी, भूमाफिया होने की चर्चा है। काश.. अवैध अड्डों से इतर तारानगर वाले नेताजी की जनता में भी चर्चा रहती तो जवाब सदन में मिलता, और हां.. अहंकार नहीं, स्वाभिमान है। हमारे यहां बच्चों को मेहनत करने और पढ़ने की शिक्षा दी जाती है। टोल, बजरी और शराब के धंधे की नहीं। अगली परीक्षा के लिए शुभकामनाएं।’
डोटासरा के जवाब पर राठौड़ का ट्वीट
‘अपने पे बात आए तो मर्यादा याद आए, औरों पर झूठे लांछन लगाएं तो सारी मर्यादा भूल जाएं। कीचड़ उछालकर कीचड़ से कौन बचा है, मर्यादित रहना ही मर्यादा का उसूल सच्चा है। माफिया के ‘दाग़’ में कब तक ओढ़ोगे शराफ़त, फिर कहता हूं….आलोचना और आरोप के फ़र्क में रखो ज़रा नज़ाकत। जिन बच्चो ने दिन रात मेहनत कर आपकी सरकार के समय आरएएस परीक्षा पास की, उनकी मेहनत पर खिल्ली उड़ाकर झूठे आरोप तीन साल से लगा रहे हो, सिर्फ झूठा हल्ला मत मचाओ, है दोनों जगह सरकार तुम्हारी दिल खोलकर जांच करवाओ।’
तुम्हारी और मेरी राहें अलग-अलग तो होनी ही हैं क्योंकि तुम जहां जा रहे हो मैं वहीं से आ रहा हूं। 4 बार की जीत से ही अगर आपने स्वाभिमान और अहंकार के अंतर को भुला दिया, कहीं एक बार और जीत आए तो मोदी के बनाए सिक्स लेन हाईवे से आगरा ले जाना पड़ेगा। मुझे भी गर्व है कि आपसे दोगुनी बार जीतने के बाद भी विनम्रता अभी जीवंत है क्योंकि यह भाजपा है, छल प्रपंच का अखाड़ा नहीं। जरा होश की बात करो, अब यहां नाथी का बाड़ा नहीं। जो करा है, वो ही सर्टिफिकेट में भरा है, मेहनत से 4-4 अभ्यर्थियों के एक जैसे अंक लाने से पहले सोचना था कि नम्बर तो थोड़े कम ज़्यादा कर लेते…। नहीं सोचा, चूक हुई। इसीलिए सर्टिफिकेट दिया गया है। इसका भी दोष दूसरों पर ? बच्चे सभी के पढ़ेंगे और कामयाब भी होंगे। बशर्ते पिछले दरवाज़े से पास होने वाले फॉर्मूलाबाजों से बच सके। बशर्ते किसी खुदगर्ज़ के कलाम उनकी राह के रोड़े न बनें।
ये हिट एंड रन पॉलिटिक्स छोड़िए, अब विपक्ष में नहीं सरकार में हो आप। हाथ पर हाथ रखकर क्यों बैठे हो बैरंग,अगर है दम, तो करके दिखाओ आरपीएससी भंग। चाहे मर्जी जो लो एक्शन, पर बंद करो ये झूठा मिशन। किसानों के बच्चों पर ही छाती क्यों पीटते हैं स्वयंभू सीएम! दबाने का दौर बीत चुका है। हमारे बच्चे पढ़ेंगे भी और कामयाब बनेंगे भी।